(भोपाल) प्रदेश के विदिशा जिले के गंजबासैदा में विगत शनिवार को सामने आये (fake lokayukta police) फर्जी लोकायुक्त टीम केस में पुलिस मुख्यालय भोपाल द्वारा आदेश जारी कर उप पुलिस अधीक्षक योगेश कुरचानिया को निलंबित कर दिया गया है। , मामले में गंज बसौदा में दर्ज एफआईआर के बाद ये कार्रवाई की गई है। रविवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए गए हैं।
पुलिस महानिदेशक मुख्यालय भोपाल द्वारा जारी आदेश में लिखा है कि 10 फरवरी को बासौदा देहात थाना जिला विदिशा में फरियादी हरिओम भावसार की ओर से पंजीबद्ध अपराध में योगेश कुरचानिया (कार्यवाहक उप पुलिस अधीक्षक) की संलिप्तता पाई गई है। अतः योगेश कुरचानिया को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबन काल में इनका मुख्यालय पुलिस मुख्यालय भोपाल निर्धारित किया जाता है।
क्या था पूरा मामला
विगत शनिवार शाम प्रदेश के विदिशा जिले के गंजबासौदा में फिल्मी स्टाइल में हुए इस ठगी के प्रयास में बैंक मैनेजर को उनके ही आवास पर फर्जी लोकायुक्त टीम बनकर आये तीन व्यक्तियों द्वारा ठगने का असफल प्रयास किया गया था जिसमें मैनेजर की सूझबूझ और पड़ोसियों की मदद से 2 आरोपियों को मौके पर ही पकड़कर पुलिस के हवाले किया गया था जबकि आरोपी मौके से भागने में कामयाब हो गया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत शनिवार को नागरिक बैंक गंजबासौदा के प्रबंधक हरिओम भावसार ने पुलिस को शिकायत की थी कि शनिवार शाम के समय बैंक बंद कर वे अपने घर पहुंचे ही थे कि एक शख्स उनके पास आया और कहने लगा कि साहब कार में बैठे हैं। आपसे चर्चा करना चाहते हैं। नंबर प्लेट पर हाईकोर्ट लिखा था और गाड़ी में 2 लोग बैठे थे। उनमें से एक ने अपने आपको डीएसपी लोकायुक्त योगेश कुरचानिया बताया और अपना आईकार्ड दिखाया। उसके द्वारा मैनेजर को आय से अधिक संपत्ति का एक नोटिस देकर कहा गया कि आपके खिलाफ लोकायुक्त में आय से अधिक संपत्ति की शिकायत आई है।
मामले में आपकी गिरफ्तारी हो सकती है। कुछ ले-देकर मामला निपटा लो। मामले को संदिग्ध भांपते हुए मैनेजर द्वारा अपने परिजनों एवं दोस्तो को सूचना दे दी गई जिसके बाद, उन्होने दो लोगों को पकड़कर पुलिस को सौंप दिया था। गिरफ्तार आरोपियों ने बताया था कि वे डीएसपी योगेश कुरचानिया के साथ गंजबासौदा एक मामले की तामील लेकर आए थे। मामले में विदिशा जिले के बासौदा देहात थाने में फरियादी हरिओम भावसार की रिर्पोट पर आरोपियों के विरूद्ध धारा 467, 419, एवं 384 ता.हि. के तहत प्रकरण दर्ज किया गया था।
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