(देवरीकलाँ) देवरी नगर के वात्सल्य स्कूल में शांतिधारा प्रकल्प बीना जी के प्रतिनिधियों के मार्गदर्शन में स्कूली बच्चों के उत्तम स्वास्थ निरोगी बनाने के उद्देश्य से स्वर्ण प्राशन संस्कार का आयोजन कर स्वर्ण प्राशन पिलाया गया।
जैनाचार्य विद्यासागर महाराज की प्रेरणा से संचालित शांतिधारा प्रकल्प द्वारा गौ संवर्धन के साथ प्राकृतिक चिकित्सा एवं प्रमाणिक आयुर्वेद कल्पों पर अनुसंधान एवं जन सामान्य को निःशुल्क उपलब्धता सुनिश्चत करने हेतु सार्थक प्रयास किये जा रहे है। शांतिधारा के प्रतिनिधियों द्वारा देवरी नगर के वात्सल्य स्कूल मे निःशुल्क स्वर्ण प्राशन संस्कार शिविर का आयोजन करवाया गया जिसमे 160 बच्चों को निरू शुल्क स्वर्ण प्राशन पिलाया गया।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप विद्यालय के प्रिंसिपल राम अवतार प्रजापति सभी शिक्षक शिक्षिका एवं शांतिधारा के प्रतिनिधि धीरेंद्र सिंह, ऋषिकांत सेन का विशेष सहयोग रहा। स्वर्ण प्राशन के फायदे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, शारीरिक और मानसिक वृद्धि, मौसमी बीमारियों से रक्षा,सर्दी खांसी जुखाम में लाभदायक पोषक तत्व की पूर्ति एवं विकृतियों को दूर करता है।अन्य पैथी में निर्मित वैक्सीन के साइड इफेक्ट हो सकते हैं परन्तु सदियों से प्रसिद्ध स्वर्ण भस्म, गिर गौ घृत और वन औषधि (जैसे ब्राह्मी, शंखपुष्पी जटामांसी, मुलेठी आदि) से निर्मित है।
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स्वर्ण प्राशन संस्कार का क्या फायदा है
स्वर्ण धातु सभी धातुओं में सबसे श्रेष्ठ धातु मानी जाती है। स्वर्ण धातु शरीर के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह बच्चों के विकास तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ाने में सबसे अच्छा योगदान देती है। इन सभी कारणों से ही हजारों वर्षों के बाद भी आज स्वर्ण प्राशन का महत्व बना हुआ है। आयुर्वेद के महान ऋषियों का मत था कि कैसे भी मानव शरीर में स्वर्ण (गोल्ड) की आवश्यकता अनिवार्य है। स्वर्ण प्राशन संस्कार से बच्चे के मानसिक और बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। इसके द्वारा बालक के शरीर, मन, बुद्धि और वाणी का उत्तम विकास होता है।
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