करीला मेले में प्रशासन ने नृत्यांगनाओं का कराया HIV टेस्ट तो मचा हड़कंप

जागरूकता और सुरक्षा को लेकर शुरू की मुहिम तो उठे कई सवाल

Administration conducted HIV test of dancers at Karila Mela, there was a stir
Administration conducted HIV test of dancers at Karila Mela, there was a stir

(बुंदेली डेस्क) अशोकनगर जिले के करीला में आयोजित होने वाले विशाल मेले में सुरक्षा और जागरूकता की दृष्टि से प्रशासन द्वारा उठाये गया अब उसके गले की फांस बनता नजर आ रहा है। दरअसल मेले में देश भर से हजारों नृत्यांगनाये इस मेले में पहुँचती जिनकों लेकर सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन द्वारा इस वर्ष रेंडमली HIV टेस्ट कराया गया। जिसमें 11 राई नृत्यांगनाओं की जांच की गई।

जिसके बाद से मीडिया और सोशल मीडिया पर कई प्रकार के प्रश्न उठाये जा रहे है।मामले को लेकर मच रहे हड़कंप से प्रशासन अलग-थलग अकेला नजर आ रहा है, पूरे मामले का रूख मोड़ते हुए मामले को नारी सम्मान और धार्मिक आस्थाओं से जोड़कर प्रस्तुत किया जा रहा है।

करीला मेले का इतिहास प्रचीन है, भगवान राम और देवी सीता के पुत्र लवकुश की जन्मस्थली कहे जाने वाले इस धार्मिक स्थान पर कई सदियों से मेले के आयोजन की परंपरा है। रंगपंचमी पर्व पर आयोजित इस मेले में लाखों श्रद्धालु जुटते है। जिसमें बुंदेलखण्ड क्षेत्र सहित प्रदेश एवं देश के अन्य हिस्सों से बड़ी संख्या में नृत्यांगायें एकत्र होती है और नृत्य की प्रस्तुति देकर माता सीता के प्रति अपनी आस्था प्रगट करती है।

धार्मिक आस्थाओं ने करीला को बनाया नृत्यांगनाओं का तीर्थ

करीला में नृत्यांगनाओं द्वारा अपने लोक नृत्य और कला के प्रस्तुतिकरण की परंपरा प्राचीन है इसके धार्मिक पहलू है तो सामाजिक महत्व भी है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि मां जानकी ने इसी स्थान पर स्थित महर्षि वाल्मीकी आश्रम में लव और कुश नामक अति पराक्रमी पुत्रों को जन्म दिया था।

इस खुशी के अवसर पर स्वर्गलोक से देवताओं ने पुष्प की वर्षा कर खुशियों का इजहार किया था तो। कहास जाता है कि इस मौके पर कई अप्सराएं स्वर्ग से उतरकर नृत्य करने के लिए यहां आई थी। इन्ही मान्यताओं ने कलांतर में परंपरा का रूप ले लिया और इस वृहद आयोजन में अब हजारों की संख्या में नृत्यांगनायें जिन्हे सामान्य बोलचाल में नचनारी कहा जाता है, यहाँ पहुँचती है और नृत्य कर लोकगायन कर अपनी आराध्य माता सीता को समर्पित करती है।

अ्गर इसे सामाजिक पहलू से जोड़कर देखा जाए तो यह संसार में इकलोता ऐसा तीर्थ है जो सामज में मुख्यधारा से पृथक जीवन यापन करने वाले एक तबके को सामाजिक जमावड़े और सम्मान के साथ प्रस्तुति का अवसर प्रदान करता है। इस धार्मिक क्षेत्र में लाखों की संख्या में एकत्र होने वाले लोगों के में अधिकांश लोग ग्रामीण परिवेश से जुड़े होते है जो अपनी पूर्व मान्यताओं के अनुसार यहाँ मनौती करते है और पूर्ण होने पर 1 या उससे अधिक नृत्यांगनाओं के नृत्य कराते है।

परंतु ये धार्मिक नृत्य वैवाहिक जलसों एवं अन्य मेलों में आयोजित नृत्य से पृथक पूर्ण धार्मिक होता है जिसमें महिलायें और बच्चे भी मौजूद रहते है, श्रद्धालुओं से मिलने वाली न्योछावर राशि भी अत्यंत न्यून होती है जिसे नृत्यंगनायें सहर्ष स्वीकार कर नृत्य कराने वाले परिवार को लोक गायन में ही अपनी शुभकामनायें और आशीष देती है।

अगर सही शब्दों में कहा जाये तो नृत्य को अपनी आजीविका स्वीकार कर इस पेशे में आने वाली नृत्यांगनाओं के प्रति आम व्यक्तियों का नजरिया सम्मानजनक नही होता है, वैवाहिक अवसरों एवं अन्य कार्यक्रमों में राई नृत्य प्रस्तुत करने वाली इन नृत्यांगनाओं को उपस्थित समुदाय के दोयम व्यवहार का सामना करना पड़ता है।

ऐसे में समाज के रवैये के कारण मानसिक अवसाद और गहन पीढ़ा झेलने वाले इस वर्ग के लिए करीला धाम स्वर्ग जैसा ही तीर्थ है जहाँ यही अपनी भावनाओं का प्रगटीकरण कर अपनी आराध्य माता सीता से अगले जनम में सम्मान से जीवन की कामना करती है।

प्रशासन की जागरूकता पर उठे सवाल

अशोकनगर में आज रविवार से करीला मेला शुरू हो गया है जो रात्रि भर चलेगा। इस मेले में परंपरागत राई नृत्य प्रतिवर्षानुसार आकर्षण का केंद्र रहेगा। परंतु इस वर्ष प्रशासन द्वारा सुरक्षा और जागरूकता की दृष्टि से नई पहली करते हुए मेले में जानकी मंदिर में नृत्य के लिए आई राई नृत्यांगनाओं एचआईवी टेस्ट करवाया गया है।

रेंडम प्रक्रिया का पालन करते हुए रविवार को कुल 11 नृत्यांगनाओं का एचआईवी टेस्ट कराया गया जिसके बाद मामले को लेकर हड़कंप व्याप्त है और लोग इसे लेकर कई सवाल उठा रहे है। धार्मिक आयोजन और महिला सवाल का मुद्दा भी गर्म हो चुका है और पूरे मामले में बचाव की मुद्रा में खड़ा प्रशासन और स्वास्थ विभाग अलग-थलग पड़ गया है।

लोग इस टेस्ट को लेकर प्रशासन सरकार को कटघरे में खड़े करने का प्रयास कर रहे है, मामला आगे और भी बड़ा रूप ले सकता है।

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