(बुन्देली बाबू) अयोध्या के निर्माणाधीन राम मंदिर में आगामी 22 जनवरी को आयोजित रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में कांग्रेस शामिल नही होगी। कांग्रेस द्वारा इसे भाजपा और आरएसएस द्वारा राजनैतिक लाभ लेने के लिए आयोजित कार्यक्रम बताया गया है। इससे पूर्व सनातन धर्म के प्रधान 4 पीठों धर्माचार्याे भी कार्यक्रम को शास्त्र सम्मत न होना बताकर कार्यक्रम से किनारा कर चुके है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं सांसद जयराम रमेश द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट पर जारी किये गये वक्तव्य में कहा गया कि पिछले महीने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी एवं लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम का निमंत्रण मिला है।
पत्र में कहा गया कि भगवान राम की पूजा-अर्चना करोड़ो भारतीय करते है। धर्म मनुष्य का व्यक्तिगत विषय होता आया है। लेकिन भाजपा आरएसएस ने वर्षाे से राम मंदिर को एक राजनीतिक परियोजना बना दिया है। स्पष्ट है कि एक अर्धनिर्मित मंदिर का उद्घाटन केवल चुनावी लाभ उठाने के लिए ही किया जा रहा है। 2019 में माननीय सर्वाेच्च न्यायालचय के निर्णय को स्वीकार करते हुए एवं लोगो की आस्था के सम्मान में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी एवं लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी भाजपा एवं आरएसएस के इस आयोजन के निमंत्रण को ससम्मान अस्वीकार करते है।
आयोजन में कांग्रेस के शामिल होने पर था असमंजस
अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम कांग्रेस नेताओं के शामिल होने को लेकर लंबे समय से असमंजस बना हुआ था। आयोजन समिति द्वारा कार्यक्रम में सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष खरगे समेत संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी को आमंत्रित किया था। उक्त संबंध में कांग्रेस के शामिल
होने के सवालों को लेकर कांग्रेस वक्ता हमेशा से ही बात को टालते आये है। परंतु अब कांग्रेस के अधिकृत बयान के बाद स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस इस कार्यक्रम में शामिल नही होगी।
प्राणप्रतिष्ठा कार्यक्रम में नही जाऐंगे चारो शंकराचार्य
अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा है. भव्य कार्यक्रम हो रहा है और देश विदेश से साधु संत व अन्य गणमान्य लोग आ रहे हैं. दूसरी ओर, चारों शंकराचार्यों ने इस कार्यक्रम की रूप रेखा पर सवाल उठाते हुए दूरी बना ली है. पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के बाद अब द्वारिका पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस कार्यक्रम का खुले तौर पर विरोध किया. वहीं बाकी दो शंकराचार्यों ने अन्य माध्यमों से बयान देते हुए इस कार्यक्रम में शामिल होने से इंकार किया है.
पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के मुताबिक आपत्तिजनक बयान देते हुए कहा कि वह इस कार्यक्रम में ताली बजाने थोड़े ना जाएंगे. उन्हें अपने पद का अभिमान नहीं, अपने पद की गरिमा का ज्ञान है. स्वामी निश्चलानंद समेत चारों शंकराचार्यों के बयान का वीडियो इस समय सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है. इसमें सभी के अपने अपने तर्क है. वीडियो में निश्चलानंद साफ तौर पर कह रहे हैं कि उन्हें रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए न्यौता मिला है, लेकिन इसमें उन्हें केवल एक आदमी के साथ आने के लिए कहा गया है.
विपक्ष के कई दल भी कर चुके है किनारा
राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर विपक्ष के कई नेता पूर्व में ही इंकार कर चुके है। कार्यक्रम में ममता बनर्जी शामिल नहीं होंगी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस की ओर से कार्यक्रम में कोई शिरकत नहीं करेगा। हालांकि TMC की ओर से आधिकारिक तौर इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। चर्चा है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। उनके अलावा सीपीआईएम के महासचिव सीताराम येचुरी भी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण ठुकरा चुके हैं। उन्होंने कहा- धर्म व्यक्तिगत पसंद है, जिसे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
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