(देवरीकलाँ) वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व की पुरैना बीट में विगत 10 अप्रैल को हुए चिंकारा के शिकार के मामले में नया मोड़ आ गया है। मामले के मुख्य आरोपी द्वारा मामले में जब्त किये गये मांस की चोरी और उसके विक्रय संबंधी बयान दिये जाने के बाद विभागीय अमले की निष्ठा एवं पूरी कार्रवाई सवालों के घेरे में है। प्रकरण में विभाग द्वारा शक के दायरे में आये विभाग के चौकीदार को सह आरोपी बनाया गया है।
वही शुक्रवार को हिरासत में लिये गये चौकीदार एवं उसके परिजनों ने विभाग पर पूछताछ के नाम पर बंधक बनाये रखने एवं निर्मम मारपीट किये जाने के आरोप लगाये है। मुलाहजे के लिए सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र देवरी लाये गये चौकीदार को प्राथमिक उपचार के बाद उसे जिला चिकित्सालय रिफर किया गया है।
मध्यप्रदेश के नये टाइगर रिजर्व में विद्युत करेंट लगाकर वन्यप्राणि चिंकारा का शिकार किये जाने के मामले में विभागीय कार्यप्रणाली सवालों के दायरे में है। प्रकरण में जब्त मांस को बेचे जाने के आरोपों से जूझ रहे विभाग पर अब शक के दायरे में आये वन श्रमिक को लाठी डंडो से निर्ममता से पीटे जाने के आरोप लग रहे है। जिसको लेकर मारपीट में घायल युवक के परिजनों ने सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र देवरी में जमकर हंगामा किया एवं विभाग में चल रहे जंगल राज पर सवाल खड़े किये।
क्या है पूरा मामला
दर असल विगत 10 अप्रैल को टाइगर रिजर्व की पुरैना बीट में वन्य प्राणी चिंकारा के शिकार की सूचना विभाग के जमीनी अमले की प्राप्त हुई थी। मामले में विभाग के बारहा वृत्त के डिप्टी रैंजर सुरेन्द्र विश्वकर्मा द्वारा विभाग चौकीदारों के साथ मामले के शंकू नामक व्यक्ति को पकड़ा गया था एवं उसके कब्जे से एक बोरी में चिंकारा का मांस एवं अन्य अंग जब्त किये गये थे। जिस पर कार्रवाई कर विभाग द्वारा 5 आरोपियों शंकू, शंकर कौल, हल्ले अहिरवार एवं 2 अन्य के विरूद्ध वन अपराध पंजीबद्ध किया गया था। बाद में विभाग द्वारा मामले में शंकर कौल एवं हल्ले अहिरवार को भी गिरप्तार किया गया था। मामले के 2 अन्य आरोपी अब भी फरार बने हुए है विभाग जिनकी तलाश कर रहा है।
कार्रवाई पर उठे सवाल तो हुई जांच
मामले में विभाग द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर कई आरोप लगाये गये, मामला उच्च अधिकारियों तक पहुँचा तो विभाग द्वारा मामले में जांच के निर्देश दिये गये थे। जिसके बाद टाइगर रिजर्व की एसडीओ एवं रेंजर द्वारा कोर्ट से अनुमति लेकर प्रकरण के मुख्य आरोपी से जेल में बयान लिये गये जिसमें उसके द्वारा सनसनीखेज आरोप लगाये गये। उसने अपने बयानों में बताया कि आरोपी को पकड़े जाने के बाद उसे सिलकुही बैरियर ले जाया गया था जहाँ मांस की बोरी से कुछ मांस निकलवाया गया एवं उसे एक अन्य बोरी में रखवाया गया एवं बाद में उसके हाथ धुलवाये गये थे। उसका आरोप था कि बाद में विभाग के चौकीदार द्वारा उक्त मांस बैच दिया गया था।
विभाग ने चौकीदार को सह आरोपी बनाया
मुख्य आरोपी के बयानों के आधार पर मामले में शक के दायरे में आये विभाग के वन श्रमिक चौकीदार दिलीप दांगी से विभाग के अधिकारियों द्वारा पूछताछ कर उसे मामले में सह आरोपी बनाया गया है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उसके द्वारा आरोपों को स्वीकार किया गया है।
मुलाहजे में शरीर पर पिटाई के निशान परिजनों का हंगामा
अभ्यारण अमले द्वारा मामले में सह आरोपी बनाये गये चौकीदार को शुक्रवार सुबह सामुदायिक स्वास्थ देवरी में चिकित्सकीय परीक्षण के लिए लाया गया था। जिसमें उसके शरीर पर लाठियों की चोट के निशान पाये गये। सीने में दर्द सहित चोटों के निशान के चलते उसे सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र देवरी में भर्ती कराया गया। एवं बाद में जिला चिकित्सालय रिफर किया गया। उसने पत्रकारों को बताया कि विभाग द्वारा उसे पूछताछ के लिए देवरी वन परिक्षेत्र कार्यालय बुलाया गया था एवं बाद में उसे पहले बारहा ले जाया गया एवं उसके बाद नौरादेही ले जाया गया जहाँ उसे लगातार 2 दिन तक बंधक बनाकर मारपीट की गई। चौकीदार का आरोप है कि उसे जबरन अपराध कबूल करवाने के लिए विभाग के एक डिप्टी रेंजर एवं 2 वन आरक्षकों द्वारा लाठी डंडों से मारपीट की गई है। मामले में चौकीदार के परिजनों द्वारा विभाग के जिला अधिकारियों, वनमंत्री, जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक सागर को शिकायत कर कार्रवाई की मांग की गई है।
विभागीय कार्रवाई पर सवाल
टाइगर रिजर्व प्रशसन द्वारा पूरे प्रकरण में की गई कार्रवाई को लेकर कई तरह के सवाल उठाये जा रहे है विभाग द्वारा वन्यप्राणि चिंकारा के शिकार के मामले में जब्तशुदा मांस का विक्रय और उसमें विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता को लेकर भी कई बाते की जा रही है। प्रकरण में जब्ती एवं आरोपी की गिरप्तारी में वन श्रमिकों के बेजा उपयोग करने एवं मांस के विक्रय विक्रय के मामले में प्रकरण के विवेचक विभाग के जिम्मेदार अधिकारी को क्लीन चिट दिया जाना कई शंकाओं को जन्म देता है। विभागीय गाइड लाईन के अनुसार ऐसे प्रकरणों में वन्य प्राणी के अवशेषों को कोर्ट की अनुमति से सक्षम अधिकारी की उपस्थिति में नष्ट किये जाने का प्रावधान है फिर ऐसे में उसका चोरी छिपे विक्रय विभाग के अधिकारियों की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। विभागीय अमले द्वारा मामले में चौकीदार से की गई कथित निर्मम मारपीट भी विभाग की कार्यप्रणाली एवं अनुशासन पर सवाल खड़े करती है।
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