(देवरीकलाँ) विधानसभा चुनाव में टिकिट वितरण से असंतुष्ट होकर भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्यकारणी सदस्य एवं देवरी नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष मयंक चौरसिया ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। देवरी में पूर्व कांग्रेस विधायक को भाजपा द्वारा प्रत्याशी बनाये जाने को लेकर उन्होने पार्टी में चल रहे कांग्रेस कल्चर पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की।
भारतीय जनता पार्टी के जिला कार्यकारणी सदस्य एवं देवरी नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष मयंक चौरसिया ने विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा दिये गये टिकिट का जमकर विरोध करते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया। पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होने भाजपा
में पनप रहे कांग्रेस कल्चर घातक बताया। उन्होने जिले में पार्टी द्वारा पिछड़ा वर्ग की उपेक्षा किये जाने का आरोप लगाया।
उन्होने कहा कि भाजपा कहती थी कि वह अन्य पार्टियो से अलग है परंतु भाजपा कांग्रेस की कार्बन कापी है। हम लोग किसी नेता की गणेश परिक्रमा नही करते हमने विचारों के माध्यम से जनता में अपनी पकड़ बनाई है। हमें विश्वास था कि विचार वाली पार्टी है इसलिए पार्टी के किसी न किसी कार्यकर्ता को टिकिट देगी परंतु ऐसा नही हुआ पार्टी ने अचंभित कर दिया और एक
कांग्रेसी को टिकिट दिया।
जो कांग्रेस से तीन बार विधानसभा चुनाव लड़े जिला कोआपरेटिव बैंक के अध्यक्ष रहे, मंडी अध्यक्ष रहे कांग्रेस ने उन्हे सब कुछ दिया वो वहाँ से छोड़कर आ गये तो भाजपा में कब तक रहेंगे इस बात की क्या गांरटी है। यदि कांग्रेस को एक दो विधायकों
की कमी पड़ी तो उनके कांग्रेस से लंबे समय से अच्छे संबंध वह वहाँ चले जायेंगे और मुझे तो ऐसा लगता है कि भाजपा की जो वर्तमान में स्थिति है ऐसा लगता है कि अगली बार वह वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी हर्ष यादव को ही भाजपा का टिकिट दे या फिर जिले के कांग्रेस नेता अरूणोदय चौबे को विधानसभा प्रत्याशी बना दे।
उन्होने प्रश्न उठाते हुए कहा कि भाजपा ने सागर जिले में पिछड़ा वर्ग को क्या दिया उन्होने जिले के टिकिटो का मुद्दा उठाते हुए पार्टी का घेराव किया उन्होने कहा कि भाजपा ने जिले में 2 ब्राम्हणों को टिकिट दिया 2 क्षत्रियों को उम्मीदवार बनाया परंतु पिछड़ा वर्ग को क्या दिया।
आपको लोधियों को टिकिट देने में आपको आपत्ति है। पार्टी द्वारा जिले में पिछड़ा वर्ग के परंपरागत वोटर वर्ग की अनदेखी की गई है, पार्टी द्वारा अन्य वर्ग जिसमें कुशवाहा, कुर्मी, यादव, प्रजापति, रैंकवार, साहू, चौरसिया वर्ग को कोई मौका उपलब्ध नही कराया गया।
पार्टी कहती है कि सबका साथ सबका विकास परंतु टिकिट वितरण में ऐसा देखने में नही आता क्या। पिछड़ा
वर्ग सिर्फ वोट का साथ देने के लिए है। अन्य पार्टी की सदस्यता लेने या निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने के संबंध में उन्होने फिलहाल ऐसी संभावना से इंकार कर दिया।
निर्दलीय लड़कर जीता था अध्यक्ष का चुनाव
संघ पृष्ठ भूमि से आने वाले मयंक चौरसिया क्षेत्र के हिन्दुत्व वादी फायर ब्रांड नेता है जिन्होने भाजपा ने बगावत कर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी। संघ में कई स्तरों पर कार्य कर चुके चौरसिया वर्तमान में भाजपा के जिला कार्यकारणी सदस्य है एवं मौजूदा चुनाव में भाजपा से टिकिट के इक्छुक थे। विगत 2 वर्षो से लगातार गांवों में संपर्क कर रहे चौरसिया के इस्तीफे के बाद भाजपा में घमासान की स्थिति निर्मित हो सकती है और बगावत की आग फैल सकती है।
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