(बुन्देली बाबू डेस्क) छत्तीसगढ़ के कवर्धा में सोमवार दोपहर हुए भीषण सड़क हादसे से पूरे देश में कोहराम मच गया है। जिले के पंडरिया विकासखण्ड के कुकदूर में हुए दर्दनाक सड़क हादसे में पिकअप पलटने के कारण उसमें सवार 19 महिला तेंदुपत्ता श्रमिकों की मौत हो गई एवं 3 को गंभीर हालत में जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। यह घटना उस समय हुई जब श्रमिक तेंदुपत्ता तोड़कर घर वापिस लौट रहे थे। घटना के समय पिकअप वाहन में तेंदुपत्ता की पोटलियों के साथ लगभग 25 लोग सवार थे।
घटना की मृतक महिलाये संरक्षित बैगा समुदाय से बताई गई है। देश की राष्ट्रपति द्रोपती मुर्मू द्वारा बैगा समुदाय के उत्थान के लिए गोद लिया गया है। घटना के बाद के बाद उनके द्वारा मार्मिक संदेश जारी कर शोक संवेदना व्यक्त कर घटना के घायलों के स्वस्थ की कामना की गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा भी घटना पर शोक व्यक्त किया गया है।
हादसे में इनकी हुई मौत
कवर्धा हादसे में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है. इस हादसे में जिन लोगों की मौत हुई है. उनकी पहचान बिस्मत बाई (45 वर्ष), लीला बाई (35 वर्ष), परसदिया बाई (30 वर्ष), भारती (15 वर्ष), सुंती बाई (45 वर्ष), मिला बाई (48 वर्ष), टिकू बाई (40 वर्ष), सिरदारी बाई (45 वर्ष), जमिया बाई (35 वर्ष), मुंगिया बाई (60 वर्ष), झमलो बाई (62 वर्ष), सिया बाई (50 वर्ष), किरण (15 वर्ष), पटोरिन बाई (35 वर्ष) धनईया बाई (48 वर्ष), शांति बाई (35 वर्ष) प्यारी बाई (40 वर्ष), सोनम (16 वर्ष) की मौत हो चुकी हैं। साथ ही एक घायल महिला द्वारा उपचार के दौरान दम तोड़ दिया गया।
इनकी हालत है गंभीर
इस हादसे में 18 लोगों की मौत के अलावा चार लोग घायल भी हो गए हैं. घायलों की पहचान मुन्नी बाई (45 वर्ष ), धान बाई (52 वर्ष), ममता (22 वर्ष ) गुलाब सिंह (50 वर्ष) के रूप में हुई है. बताया जाता है कि ये सभी थाना कुकदुर क्षेत्र के सेमरहा गांव के निवासी हैं.
घटना के बाद राहत एवं बचाव में जुटा प्रशासन
तेंदूपत्ता तोड़कर लौट रहे मजदूरों को लेकर आ रही पिकअप कुकदूर थाना क्षेत्र के गांव बाहपानी के पास खाई में गिर गई. बताया जाता है कि जिस वक्त ये हादसा हुआ, उस वक्त पिकअप में लगभग 25 लोग सवार थे, जो तेंदूपत्ता तोड़ कर वापस लौट रहे थे. पुलिस टीम घटनास्थल पहुंच कर जांच में जुटी है. मरने वालों में 15 महिलाएं और तीन किशोरी शामिल हैं. इस हादसे की सबसे दुखद पहलू ये है कि सभी मृतक बैगा आदिवासी समुदाय के हैं, जो कि संरक्षित जनजाति है।
घटती आबादी के कारण संरक्षित है बैगा जनजाति
बैगा जनजाति की आबादी लगातार कम होने के कारण सरकार की ओर से उन्हें संरक्षित किया जा रहा है। देश के मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, और उत्तर प्रदेश में यह जनजाति पाई जाती है। मध्य प्रदेश के मंडला, डिंडोरी, और बालाघाट जि“लों में बैगा जनजाति की बड़ी आबादी रहती है। बैगा जनजाति के लोग परंपरागत रूप से जंगलों के पेड़-पौधों से औषधियां बनाने और इलाज करने में माहिर माने जाते है।
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