(बुन्देली बाबू) मध्यप्रदेश के नये टाइगर रिजर्व रानी दुर्गावती अभ्यारण से एक अच्छी खबर सामने आई है, बाघों के घटते कुनबे को बढ़ाने की मुहिम में लगे इस टाइगर रिजर्व में बाघों की गणना और लोकेशन ट्रेस करने के लिए लगाये गये कैमरे में विलुप्तप्रायःवन्य प्राणि चौसिंघा (Tetracerus quadricornis) ट्रेस हुआ है। इसकी तस्वीर सामने आने के बाद अब अभ्यारण में इसके संवर्धन पर चर्चायें आरंभ हो गई है।
अपने अनोखे चार सींगों के कारण खूबसूरत वन्यप्राणियों में शामिल चौसिंघा अपनी घटती आबादी के कारण विलुप्त हो रहे प्राणियों की सूची में शामिल हो चुका है। भारत और नेपाल में पाया जाने वाले इस संसार के एक मात्र चार सींगों वाले चौपाये के संरक्षण और संवर्धन के लिए कोशिश की जा रही है। इसे बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्था आइयूसीएन एवं भारत सरकार ने इसे विलुप्तायः प्राणियों की सूची में शामिल किया है।
चार सींगों के कारण दुर्लभ है चौसिंगा
चौसिंगा (Tetracerus quadricornis) यू तो हिरण प्रजाति का वन्यप्राणि है जो अपने सिर पर अवरोही क्रम में उगने वाले खूबसूरत सींगो के लिए जाना जाता है। वयस्क नर की ऊचाँाई लगभग 2 फीट एवं वजन 15 से 25 किलोग्राम तक तक होता है।इसकी चमड़ी का रंग पीला सुनहरा लालिमा लिये रहता जो इसकी खूबसूरती को बढ़ता हैं। इसके उदर एवं टांगों का रंग सफ़ेद होता है। इसके सिर पर आयु के साथ उगने वाले सींग इसे दुर्लभ और खूबसूरत बनाते है। वन्यप्राणी विशेषज्ञों का मत है कि इसके सिर पर उगने वाले सींगों की उपस्थिति से इसकी आयु का आंकलन आसानी से किया जा सकता है।
इसके मुख्य और लंबे सींग इसके जन्म के कुछ माह में ही दिखने लगते है जबकि इसके इसके माथे पर उगने वाले छोटे सींग लगभग डेढ़ वर्ष की आयु पूर्ण होने पर दिखाई देते है। इसके मुख्य सींगों की लंबाई लगभग 5 इंच एवं इसके छोटे सींग लगभग एक 2 इंच लंबाई के होते है जो माथे पर उगते है। इन्ही चार दुर्लभ सींगो के कारण इसे चौसिंगा नाम दिया गया है।
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में ट्रेस हुआ चौसिंगा
हाल ही में टाइगर रिजर्व में शुमार हुए मध्यप्रदेश के रानी दुर्गावती अभ्यारण में इसकी मौजूदगी के कारण वन विभाग खासा उत्साहित है। दरअसल प्रदेश में सागर, दमोह एवं नरसिंहपुर की सीमाओं में फैले रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बाघों का कुनबा बढ़ाने के लिए चल रहे प्रयासों को मिला आपेक्षित सफलता से वन विभाग खासा उत्साहित है। अभ्यारण में दो बाघों के साथ आरंभ हुए प्रयास अब ढेड़ दर्जन बाघों तक पहुँच गये है।
विभाग द्वारा समय समय पर की जाने वाली बाघों की गणना एवं उनकी लोकेशन को ट्रेस करने के लिए अभ्यारण में कई स्थानों पर कैमरे लगाये गये है। उन्ही में से एक कैमरे में दुर्लभ चौसिंगा ट्रेस हुआ है। इसकी तस्वीर सामने आने के बाद टाइगर रिजर्व प्रबंधन द्वारा इसकी जांच की गई जिसमें चौसिंगा की उपस्थिति की पुष्टि के बाद अधिकारी उत्साहित है। अब इसके संरक्षण को लेकर प्रबंधन द्वारा विशेष प्रयास किए जाएंगे।
चौसिंगा की उपस्थिति से अभ्यारण प्रबंधन उत्साहित
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर श्री ए.ए. अंसारी के अनुसार कि बाघों की गणना के लिए पूरे टाइगर रिजर्व में ट्रैप कैमरे लगाए गए हैं। इन कैमरों में वन्यजीवों की फोटो कैप्चर होती रहती हैं। चौथे चरण की गणना के दौरान कैमरों में जो फोटोग्राफ दिखाई दी वह हैरत में डालने वाली थी। इन फोटो में जो जीव केप्सर हुआ उसके चौसिंगा होने को लेकर प्रबंधन उत्साहित है। और उसके संरक्षण एवं उनकी संख्या का पता लगाकर उनके संवर्धन के विषय में विचार कर रहा है।
विलुप्त होने की कगार पर है चौसिंघा
चौसिंगा के सिर पर चार सींग होते हैं, जो इसे खास बनाते हैं। दो सींग कानों के बीचों बीच और दो सींग आगे की तरफ माथे पर होते हैं। इसका वैज्ञानिक नाम टेट्रासेरस क्वॉड्रिकॉरनिस है। विलुप्तप्राय होने की वजह से इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर ने रेड अलर्ट सूची में रखा है। वहीं भारत सरकार ने भी वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत चौसिंगा को बाघ के समान संरक्षित सूची में जगह दी है। पूरे संसार में इनकी संख्या घटकर महज कुछ हजार रह गई है जिसके कारण इनकी सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही है।
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