भवन जर्जर, क्लास रूमों में भरा पानी तो नाराज बच्चों ने की स्कूल की तालाबंदी

रसेना ग्राम का मामला, अधिकारियों के आदेश से सहाकारी गोदाम में लगेंगी कक्षाये

The building was dilapidated, water filled in the classrooms, angry students locked the school
The building was dilapidated, water filled in the classrooms, angry students locked the school

(देवरीकलाँ) जर्जर भवन, टपकती छतों और सीलन भरे कक्षों में पढ़ने की मजबूर रसेना ग्राम के स्कूली बच्चें अब प्रदर्शन पर आमादा है। विगत बुधवार को लंबे समय से चली आ रही सरकारी अव्यवस्था से नाराज होकर स्कूली बच्चों ने शासकीय एकीकृत हायर सेकेण्डरी स्कूल रसेना के मुख्य द्वार पर तालाबंदी कर दी और अपने स्कूल बैग गेट पर लटकाकर बाहर खड़े हो गये। उन्होने शिक्षकों को भी स्कूल में प्रवेश नही करने दिया। मामले की खबर जब विभाग के अधिकारियों और प्रशासन तक पहुँची तो अब जर्जर भवन में लगने वाली कक्षाओं को गांव में बने सहकारी समिति के गोदाम में स्थानांतरित करवाया गया है।

सागर जिले के शाहपुर में जर्जर कच्चा मकान ढहने से हुए दर्दनाक हादसे के बाद भी तंत्र की लचर कार्यप्रणाली में कोई बदलाव नही आया है, प्रशासन जहा एक ओर जीर्ण शीर्ण भवनों को जमीदोंज किये जाने का दावा कर रहा है। वही दूसरी और सरकारी स्कूल जीर्ण शीर्ण भवनों में संचालित किये जा रहे है। देवरी विकासखंड के ग्राम रसेना में इसी अव्यवस्था के चलते जब स्कूली बच्चों ने स्कूल की तालाबंदी कर प्रदर्शन किया जो अब प्रशासन भवनों की मरम्मत और नये शाला भवन के निर्माण का आश्वासन दे रहा है। मामला प्रदेश सरकार के 2 बार विधायक एवं कमलनाथ सरकार में केबिनेट मंत्री रहे कांग्रेस नेता हर्ष यादव के गृह ग्राम का है। मामले को लेकर स्कूल प्रशासन और विभागीय अधिकारियों का कहना है कि नया भवन स्वीकृत है कार्य आरंभ नही हुआ है। मौजूदा शाला भवन मरम्मत के लिए बजट मांगा गया था परंतु अब तक फाइल अटकी हुई है।

15 कक्षों में 1 से 12 तक स्कूल संचालित
देवरी विकासखंड के रसेना ग्राम में स्कूली भवन की समस्या नयी नही है, आजादी के बाद से ही ग्राम के वाशिंदे भवन के इंतजार में है। इस दौरान सरकारे बदलती रही परंतु स्थिति यथावत रही गांव से विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री का सेहरा भी बंधा परंतु सिस्टम की बेरूखी बरकरार रही। दरअसल ग्राम 50 के दशक में सरकारी प्रायमरी स्कूल आरंभ कराया गया था, गांव के जागरूक ग्रामीणों द्वारा दान में दी गई भूमि पर जन सहयोग से एक कच्चे खपरैल भवन का निर्माण कराया गया था जिसमें आज भी कक्षाये संचालित की जा रही है।

जिसके बाद 1980 में ग्राम में हाईस्कूल आरंभ हुआ परंतु 40 वर्षाे बाद भी भवन नसीब नही हुआ। विगत 7 वर्ष पूर्व शासन ग्राम में द्वारा हायर सेकेण्डरी स्कूल भी आरंभ किया गया परंतु भवन अब तक नही बन सका। वर्तमान में पुराने खपरैल भवन के साथ प्रायमरी शाला भवन एवं सर्वशिक्षा अभियान के अतिरिक्त कक्षों में कक्षा 1 से 12 तक की कक्षाये संचालित हो रही है, जिसमें लगभग 750 बच्चे अध्ययनरत है। स्कूल में कक्षा 1 से 12 तक 35 शिक्षकों की तैनाती होनी थी परंतु वर्तमान में सिर्फ एक दर्जन से भी कम शिक्षक बच्चों का भाग्य गढ़ रहे है।

जर्जर भवन और टकपती छतो से बच्चे परेशान
स्कूल में सर्वशिक्षा अभियान के तहत विगत एक दशक पूर्व निर्मित अतिरिक्त कक्षों में क्लासे लगाई जाती है, ग्रामीण इंजीनियरिंग और सरकारी शिल्प के अनुपम नमूने इस कक्षों की सीलिंग जगह जगह उखड़ कर गिर रही है। छत टपकने के कारण क्लास रूमों में पानी भर जाता है। खिड़कियां और वेंटीलेटर खुले होने के कारण पूरे कक्षों में सीलन और बरसाती गंदगी साफ दिखाई देती है। इसके बाद भी न विभाग ने कभी सुध ली न ही प्रशासन से चिंता की।

बच्चों ने मोर्चा खोला तो जाग गया प्रशासन
अव्यवस्था से नाराज स्कूली बच्चों ने बुधवार सुबह जब स्कूल की तालाबंदी कर दी तो हड़कंप मच गया। दरअसल ग्रामीण मामले को मीडिया में भी कई बार उठा चुके है परंतु विभाग और प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नही की गई। बुधवार सुबह स्कूली बच्चों ने शाला के मुख्यद्वार पर ताला लगाकर अपने स्कूल बैंग टांग दिये और बाहर खड़े हो गये। स्कूली शिक्षक जब पहुँचे तो बच्चों के समर्थन में ग्रामीण भी एकत्र हो गये और स्कूल का ताला खोलने से इंकार कर दिया। बाद में प्रशासन के निर्देश पर पहुँचे लोकनिर्माण विभाग के उपयंत्री ने कक्षों का निरीक्षण कर उन्हे जर्जर घोषित कर दिया और शाला परिसर की भूमि की माप की।

अब सहकारी विभाग की गोदाम में लगेगा स्कूल
बच्चों के विरोध प्रदर्शन के बाद स्कूल भवन क्षतिग्रस्त घोषित होने के बाद, ग्राम पंचायत सरपंच एवं शाला प्रचार्य द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में ग्राम के सहकारी भवन की गोदाम में स्कूली कक्षाये संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है। जो बच्चों की संख्या के मान से नकाफी होगा। मामले को लेकर शाला प्रशासन का कहना है कि उक्त संबंध में समय समय पर विभाग के वरिष्ठ कार्यालयों को सूचना भेजी गई है।

इनका कहना है
ग्राम रसेना के निवासी पूर्व विधायक एवं प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री हर्ष यादव का कहना है कि रसेना ग्राम हमेशा से भेदभाव का शिकार रहा है। उनका कहना है कि इस संबंध में उनके द्वारा सैकड़ा भर से ज्यादा पत्र मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री सहित वरिष्ठ अधिकारियों को लिखे गये है। मामला विधानसभा में भी उठाया गया था परंतु दलीय भेदभाव के कारण सुनवाई नही हुई। उनका कहना है कि देवरी एवं केसली विकासखंड के दो दर्जन से अधिक ग्रामों में ऐसी ही स्थिति है भवनों के आभाव में हाईस्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल जर्जर भवनों में संचालित हो रहे है। विभागीय कार्ययोजना महज दिखावा है जिले का पूरा बजट एक दो ब्लॉकों में खर्च किया जाता है।

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