(बुन्देली डेस्क) अपने नित नये कारनामों के लिए अक्सर चर्चाओं में रहने वाली उत्तर प्रदेश की कानपुर पुलिस एक बार फिर चर्चाओं में है। मामला है एक महिला के खिलाफ रंगदारी का मामला दर्ज करने का आरोपी महिला की उम्र 100 साल है।
जो न तो ठीक से बोल पातीं है और न ही अपने दम पर. चल नहीं पातीं है, उसकी आंखों की रौशनी भी काफी कमजोर है ऐसे में कानपुर पुलिस द्वारा बेबस महिला पर 10 लाख रूपये की रंगदारी मांगने के आरोप में मामला दर्ज करने को लेकर मीडिया और सोशल मीडिया पर खासी चर्चा हो रही है।
हालांकि मामला गरमाने और पुलिस अधिकारियों के घिरने के बाद ताजा जानकारी के मुताबिक पुलिस ने महिला पर से केस वापस ले लिया है, परंतु सवाल यह है कि जमीन विवाद से जुड़े इस मामले में कानपुर पुलिस द्वारा बिना विवेचना किये ही आनन फानन में ऐसा प्रकरण क्यो दर्ज किया गया।
मामले को लेकर आला पुलिस अधिकारी जहाँ चुप्पी साधे हुए है वही थाना पुलिस अब परिजनों पर वसूली गैंग चलाने का आरोप लगा रही है। वही दूसरे पक्ष का आरोप है कि झूठा मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस उनकी सुनवाई तक नही कर रही है।
क्या है पूरा मामला
मीडिया में प्रसारित एवं प्रकाशित खबर के मुताबिक, मामला दो पक्षों के बीच एक मकान को लेकर छिड़े विवाद से जुड़ा है, जिस की भूमि पर दोनों पक्षों द्वारा अपना वैधानिक हक बताया जा रहा है।. मामले में 100 वर्षीय महिला रामकली तिवारी और उनके परिवार के खिलाफ थ्प्त् दर्ज होने के बाद उनकी बेटी उन्हें लेकर कानपुर के पुलिस कमिश्नर के पास शिकायत करने पहुंचीं. जिसके बाद जांच कर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक बुजुर्ग महिला का नाम चंद्रकली तिवारी है. वो कानपुर के मिर्जापुर इलाके की रहने वाली हैं. ये इलाका कल्याणपुर थाने के अंतर्गत आता है. चंद्रकली के परिवार का माधुरी तिवारी नाम की महिला और उनके पति बिंदुप्रकाश तिवारी से एक मकान को लेकर विवाद चल रहा है. इसी को लेकर चंद्रकली और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ 10 लाख रुपये की रंगदारी मांगने के आरोप में केस दर्ज कर लिया गया.
माधुरी तिवारी ने पुलिस को जो शिकायत दी थी उसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई. जिसमें लिखा है कि माधुरी तिवारी ने साल 2003 में कानपुर के मिर्जापुर इलाके में करीब 200 वर्ग स्क्वायर के एक प्लॉट की रजिस्ट्री करवाई थी. लेकिन चंद्रकली तिवारी, उनकी बेटी ममता और अन्य परिवार जनों ने साल 2012 में एक फर्जी बिक्री पत्र के जरिए प्लॉट पर कब्ज़ा करने की कोशिश की. जबकि तहसील की रिपोर्ट के हिसाब से प्लॉट माधुरी तिवारी का है.
आगे माधुरी ने आरोप लगाया कि इसी साल 6 मई को चंद्रकली की बेटी और उनके परिवार के लोगों ने प्लॉट का गेट तोड़ दिया और वहां हो रहा निर्माण कार्य रुकवा दिया. माधुरी के मुताबिक उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई और 10 लाख रुपये की मांग की गई. कहा गया कि रुपये नहीं दोगे तो प्लॉट पर मकान नहीं बनवा पाओगे.
प्राथमिकी में माधुरी का ये भी आरोप है कि सौ साल की चंद्रकली, उनकी बेटी ममता दुबे और बाकी लोग मिर्जापुर के पुराने बाशिंदे हैं और इलाके में ‘वसूली गैंग’ चलाते हैं. बिना 5 से 10 लाख रुपये लिए इलाके में कोई मकान नहीं बनने देते.
वहीं इन आरोपों पर चंद्रकली की बेटी ममता दुबे का कहना है,
96 वर्ग गज का प्लॉट है और मेरी मां चंद्रकली ने मुझे दिया है. उस पर माधुरी, बिन्दुप्रकाश तिवारी, विपिन पांडेय, आदित्य पांडेय और संजय सेंगर आदि लोग जबरन कब्जा कर रहे हैं. हम विरोध कर रहे हैं तो पुलिस हम पर 10 लाख रुपये की रंगदारी का मुकदमा लिख रही है. पुलिस सहयोग नहीं कर रही है.
ममता का कहना है कि उनका परिवार कल्याणपुर थाना गया तो इंस्पेक्टर ने उन्हें प्लॉट पर कोई काम करने से मना कर दिया. ऐसे में उन्हें कानपुर के पुलिस कमिश्नर के पास जाना पड़ा. ममता का कहना है कि वो इससे पहले भी कमिश्नर के पास जा चुकी हैं.
मामले पर कानपुर के पुलिस कमिश्नर बीपी जोगदंड ने जांच के आदेश दिए हैं. हालांकि इस बीच चंद्रकली का नाम केस से हटा लिया गया है.
Leave a Reply