(बुन्देली बाबू डेस्क) ज्ञान के बगैर आप दुनिया में बहुत लंबे नही चल सकते, ज्ञान के आभाव में आने वाली विपरीत परिस्थितियां आपको डिगा देंगी। जो लोग दुनिया में धन और वैभव को सब कुछ समझते है, उनसे जब आपसे सब कुछ छिन जाता है या उनसे बड़ा आ जाता है तो उन्हें घुटने टेकने पड़ते है। उक्त बात केन्द्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटैल ने देवरी में प्रसिद्ध साहित्कार शिवसहाय चतुर्वेदी स्मृति साहित्य भवन एवं ंवाचनालय के लोकार्पण के अवसर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये।
कार्यक्रम के पूर्व मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटैल ने दीप प्रज्जवलित कर एवं फीता काटकर भवन का लोकार्पण किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री पटैल ने कहा कि हम सबके दिमाग में अक्सर ये प्रश्न आता है बड़ा क्या है और छोटा क्या है ? जब हमारे मन और बुद्धि में कभी लालच और स्वार्थ आ जाये तो हम धन को या पद को बड़ा मान लेते है। हमारे मन के कारण हम अक्सर ऐसा मामने के लिए मजबूर हो जाते है।
एक बार इन्फोसिस के मालिक की पत्नि श्रीमति सुधा मूर्ति एक धनाड्य व्यक्ति के यहां भोजन के लिए गई वहाँ उन्होने धन और वैभव देखा परंतु कोई पुस्तक नही देखी। जब वह लौटकर आई तो उन्होने कहा कि इस आदमी से गरीब आदमी कोई और नही है, मैं कल पुस्तकालय खोल रही हूं उसमें आप उनको भी बुलाये।
जो कागज के नोटो को धन मानते है वो पुस्तक के ज्ञान को नही समझ सकते। उन्होने कहा कि पठन पाठन करने के लिए और इस वृत्ति के प्रोत्साहन के लिए और उन्हे सहयोग करने के लिए पुस्तकालय आवश्यक है। ज्ञान की अपनी सामर्थ्य है, ज्ञान अनमोल है एक पुस्तक आपको करोड़पति बना सकती है ज्ञान में धन का आभाव है ऐसी सोच सुधारने की आवश्यकता है।
श्री पटैल ने कहा कि नदी के उद्गम पर आप जिस श्रद्धा से जाते है उसी से श्रद्धा से आप पुस्तकालय में जाए यह ज्ञान का उद्गम स्थल है, पुस्तक वही है यह आपकी क्षमता आपकी जिज्ञासा पर निर्भर है कि आप क्या ज्ञान अर्जित करते है। ज्ञान के संकलनकर्ता नही लेखन की क्षमता को परिमार्जित करना की आवश्कता है।
इतिहास की गणना करना और लिपिबद्ध करना आवश्यक है, उसे देश और आने वाली पीढ़ी के लिए संरक्षित किया जाना आवश्यक है। साहित्य भवन और वाचनालय की कीमत आने वाली पीढ़ी करेगी, और आने वाली पीढ़ी के लिए तपस्या का स्थान बनेगी। इस कार्य के लिए चौबे परिवार एवं नगरपालिका परिषद धन्यवाद की हकदार है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि क्षेत्रीय विधायक हर्ष यादव ने कहा कि साहित्य किसी जागरूक समाज का प्रतिबिम्ब होता है, जो यह बताता है कि उस समाज की सोच और आदर्श और जीवन शैली क्या है। यह गौरव का विषय है कि आज से 100 वर्ष पहले इस नगर में रचनाकारों का एक समूह था जिसने उस काल में समसामयिक विषयों एवं बहुरंगीय संस्कृति पर अनेक रचनाये लिखी और प्रचलित कुरीतियों के उन्मूलन में अपनी भूमिका निभाई।
देवरी नगर का अपना समृद्ध इतिहास है जिसमें सामाजिक और साम्प्रदायिक सौहार्द की अनूठी परंपरा समाहित है जो सैकड़ों वर्षो से लगातार चली आ रही है। यह विचारणीय है आजादी की लड़ाई दौर और उसके बाद स्वतंत्र भारत में सामाजिक एकता को मजबूती देने के लिए देवरी नगर में मीर मंडल की स्थापना की गई जिसमें दो संस्कृतियों के प्रतिनिधि रचनाकार मीर अली मीर और पं. श्री शिव सहाय चतुर्वेदी जी ने एक अहम भूमिका निभाई। यह हमारे समाज और देवरी नगर की वास्तविक तस्वीर है जो एक गंगा-जमुनी संस्कृति को उजागर करती है।
कार्यक्रम को मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के रजिस्टार जनरल श्री रामकुमार चौबे, नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमति नेहा अलकेश जैन ने संबोधित किया कार्यक्रम का मंच संचालन मयंक वैद्य एवं आभार प्रदर्शन सीएमओ ज्योति सोनेरे ने किया। कार्यक्रम में मध्यप्रदेशराजभाषा प्रसार समिति अध्यक्ष सुखदेव प्रसाद दुवे, पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर, जिला जज अरुण कुमार , भाजपा जिलाध्यक्ष गौरव सिरोठिया मंचासीन रहे.
कार्यक्रम में देवरी नगर के साहित्यकारों एबं कवियों का मंच से सम्मान किया गया कार्यक्रम में पूर्व विधायक डॉ.भानु राणा,रतन सिंह सिलारपुर, बृज बिहारी पटेरिया, जिला उपाध्यक्ष अनिल ढिमोले, पूर्व नगरपालिका, भाजपा जिला मंत्री प्रीतम सिंह राजपूत पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष मयंक चौरसिया, जिला पंचायत उपाध्यक्ष देवेंद्र सिंह मुन्ना राव (झमारा),अजय जैन पारस, उपाध्यक्ष नईम खान, पार्षद नीलम परशुराम साहू, दामोदर लोधी, माया सुनील प्रजापति, अभिलाषा राकेश चौरसिया, सुनील रिछारिया, त्रिवेंद्र जाट , शशि उमेश पलिया, दिलीप कोष्टी, सरिता संदीप जैन, काशीराम पटेल, मोंटू राजपूत, गोमती नारायण वाल्मीकि , संजय चौरसिया,पूर्व नगर पालिका उपाध्यक्ष अशोक साहू, सुरेंद्र नामदेव सुनील कबीरपंथी, राजा गुप्ता, अनिल यादव, हल्ले प्रजापति सहित नगर पालिका के कर्मचारियों के अलावा नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे
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