(बुन्देली डेस्क) मध्यप्रदेश के दमोह के स्कूल में कथित तौर पर स्कूली हिंदू छात्राओं को हिजाब पहनाने का मामला गरमा गया है। स्कूली के बेहतर परीक्षा परिणामों को लेकर लगाये गये टॉपर पोस्टर में परीक्षा परिणाम नही पोशाक पर जमकर बबाल मच गया है। सोशल मीडिया से भड़का संग्राम अब सड़कों पर आ गया है, मामले में लोगो की खासी नाराजगी और आक्रोश को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मामले में जांच के निर्देश दिये है।
दरअसल पूरा मामला दमोह शहर के फुटेरा वार्ड नंबर-4 में गौरी शंकर मंदिर के समीप स्थित एक निजी स्कूल गंगा जमुना हायर सेकेंडरी स्कूल से जुड़ा हुआ है। इस स्कूल प्रबंधन द्वारा विद्यालय में पढ़ने वाली हाई स्कूल की छात्राओं के वार्षिक परीक्षा परिणामों में उत्कृष्ट प्रदर्शन उपरांत टॉपर बच्चों की फोटो वाले पोस्टर लगाये गये थे।
जिसमें स्कूल को रिजल्ट 98.5 बताया गया था। इस पोस्टर में लगाई गई फोटों में हिंदू छात्राएं हिजाब की तरह कपड़ा सिर पर बांधे दिखाई दे रही है। जिसको लेकर आरंभ हुआ विवाद अब थमने का नाम नहीं ले रहा है। मामले में अब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने भी इसको लेकर नाराजगी व्यक्त की है और मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। उनका कहना कि कोई स्कूल विद्यार्थियों को इस बात के लिए बाध्य नहीं कर सकता कि वे क्या पहनें।
विगत 5 दिवसों से सुर्खियों में बने हुए इस मामले को लेकर हिंदू संगठनों द्वारा खासी नाराजगी जाहिर की गई थी एवं धर्मांतरण के प्रयास आरोप भी लगाए गये थे। मामले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो द्वारा भी मामले में जिला कलेक्टर को पत्र लिखकर बिंदुवार जांच कर रिर्पोट मांगी गई थी। अब मामले में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी कलेक्टर को जांच के निर्देश दिए हैं। इसके बाद कलेक्टर द्वारा टीम गठित कर जांच कराए जाने की बात कही जा रही है,।
इकबाल के गीत को लेकर भी विवाद
दरअसल मशहूर शायर और गीतकार अल्लामा इकबाल का गीत.. लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी, जिंदगी शमा की सूरत हो खुदाया मेरी दमोह के गंगा जमुना स्कूल की प्रेयर में भी राष्ट्रगान के साथ साथ शामिल है। लोगो का कहना है कि स्कूल आरंभ होने के पूर्व राष्ट्रगान होता है उसके तुरंत बाद अल्लामा इकबाल का यह गीत का गायन भी छात्राओं द्वारा किया जाता है। इस गीत के स्कूली छात्राओं द्वारा गायन किये जाने के भी कई वीढियों सोशल मीडिया और मीडिया पर वायरल है जिसमें गीत गाने वाली लड़कियों को चेहरे पर एक विशेष पोशाक पहने दिखाया गया है जो हिजाब से मिलता जुलता है जिसे स्कूली प्रबंधन द्वारा स्कार्फ बताया गया है। इस गीत को लेकर भी हिजाब की तरह ही अनेक प्रकार के आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं। जिससे मामला और अधिक पेचीदा होता जा रहा है।
हिन्दु संगठनों ने किया था मामले का विरोध
गंगा जमुना हाई स्कूल की कक्षा दसवीं की छात्रों द्वारा स्कूल में टाप किए जाने पर लगाए गए शाला के बाहर पोस्टर में हिजाब की तरह कपड़ा बांधे 4 हिंदू छात्राओं की फोटो होने को लेकर विवाद शुरू हुआ था। जिस पर इस पोस्टर के वायरल होने के साथ ही हिंदू संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया था और स्कूल की मान्यता रद्द करने के लिए कलेक्टर के नाम एक ज्ञापन भी डिप्टी कलेक्टर राम लल्लन बागरी को सौंपा था। जिस पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने भी ट्वीट कर इस मामले में प्रशासन को जांच के निर्देश दिए थे, जिसके बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी इस मामले में कलेक्टर को जांच के निर्देश दिए जाने के बाद लगातार ही इस मामले में जांच प्रारंभ कर दी गई थी जिसके उपरांत यह मामला मीडिया के माध्यम से काफी सुर्खियों में आ गया।
स्कूल प्रबंधन ने बताया स्कार्फ कहा बाध्यता नही
इस संबंध में स्कूल के डायरेक्टर इदरीश खान का कहना है कि जिसे हिजाब कहां जा रहा है वह स्कार्फ़ है। हिजाब सिर से लेकर पैर तक होता है। स्कार्फ सिर से लेकर सीने तक होता है। किसी बच्चे के लिए यह अनिवार्य नहीं है लेकिन स्कूल का ड्रेस कोड है। इसलिए सभी बच्चे पहन कर आते हैं और इस पर बच्चों के अभिभावकों को भी कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने इकबाल का गीत पढ़े जाने को लेकर कहा कि यह एक दुआ है जो बच्चे अपने लिए करते हैं। उन्होंने कहा कि उनका यह स्कूल अल्पसंख्यक कोटे से मान्यता प्राप्त है जिसमें केवल धर्म विशेष के बच्चे ही पढ़ सकते हैं लेकिन सभी धर्म के बच्चों को अपने स्कूल में प्रवेश देते हैं।
Leave a Reply