नौरादेही को प्रदेश के सातवे टाइगर रिजर्व का दर्जा राष्ट्रीय वन्य प्राणी बोर्ड से मिली सहमति

इसी माह जारी हो सकती है मध्यप्रदेश सरकार की अधिसूचना

Nauradehi got the status of state's seventh tiger reserve from the National Board for Wildlife
Nauradehi got the status of state's seventh tiger reserve from the National Board for Wildlife

(बुन्देली डेस्क) प्रदेश के सागर दमोह और नरसिंहपुर की सीमाओं में वृहइ भू भाग पर फैले प्रदेश के सबसे बड़े वन्य प्राणि अभ्यारण को टाइगर रिजर्व का दर्जा प्राप्त हो गया है। राष्ट्रीय वन्य प्राणि बोर्ड की सहमति के बाद राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा इसे टाइगर रिजर्व की सूची में शामिल कर लिया गया। प्रदेश सरकार द्वारा इस संबंध में अधिसूचना प्रकाशन के बाद इसे टाइगर रिजर्व के रूप में मान्यता प्राप्त हो जाएगी।

यह प्रदेश का सातवा टाइगर रिजर्व होगा जिसे वीरांगना रानी दुर्गावती वन्य प्राणि अभ्यारण के साथ जोड़कर एक नये टाइगर रिजर्व के रूप में स्थापित किया जाएगा। वर्तमान में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में छह-छह टाइगर रिजर्व हैं। जबकि दूसरे नंबर पर कर्नाटक है, जहां पांच टाइगर रिजर्व हैं, ऐसे ही राजस्थान में चार हैं।

इस लिहाज से मध्यप्रदेश बाघों के सरंक्षण और टाइगर रिजर्व के मामले में सभी प्रदेश से आगे निकल जाएगा। वर्तमान में मध्यप्रदेश देश में बाघों के सबसे सुरक्षित आवासों में से एक है जिसमें सर्वाधिक 526 बाघों की गणना की गई थी। अब जिनकी संख्या बढ़कर सात सौ तक होने की उम्मीद जाहिर की जा रही है।

एक दशक के प्रयास रंग लाये नौरादेही में अब 16 बाघ

दरअसल नौरादेही अभ्यारण में बाघों को बसाने की मुहिम तो लगभग 1 दशक से भी पुरानी है, परंतु वर्ष 2018 में इसे मूर्त रूप देने के लिए राष्ट्रीय बाघ परियोजना अंतर्गत कान्हा किसली और बांधव गढ़ से लाये गये राधा और किशन नामक बाघ-बाधिन को छोड़ा गया था। शुरूआती समस्याओं के बाद इस बाघ जोड़े ने अपने कुनबे का विस्तार किया और वर्तमान में बाघों की संख्या बढ़कर 16 हो चुकी है। नौरादेही अभयारण्य में वन्य प्राणियों के संरक्षण एवं संवर्धन की असीमित संभावनाओं के चलते इसका चयन चीता परियोजना के लिए भी हुआ है।

बुंदेलखण्ड को मिला दूसरा टाइगर रिजर्व

बुंदेलखण्ड इलाके में बाघों की बढ़ती संख्या इस रीजन को बाघों का सुरक्षित बसेरा बना रही है, टाइगर स्टेट के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में नौरादेही दूसरा टाइगर रिजर्व बनाया गया है। इसके पूर्व पन्ना टाइगर रिजर्व बाघों के सुरक्षित आवास के रूप में अपनी पहचान स्थापित कर चुका है।

प्रदेश के सबसे बड़े नौरादेही अभ्यारण को वीरांगना दुर्गावती अभ्यारण के साथ जोड़कर नौरादेही-दुर्गावती अभयारण्य टाइगर रिजर्व का दर्जा दिया गया है। इसके लिए प्रदेश सरकार के वन मंत्रालय द्वारा करीब छह महीने पूर्व प्रोजेक्ट तैयार का सरकार को भेजा गया था।

केन बेतवा लिंक परियोजना बनी मददगार

मध्यप्रदेश के टीकमगढ़, पन्ना एवं छतरपुर एवं उत्तरप्रदेश के झांसी इलाकों में पानी की गंभीर समस्या के निराकरण के लिए वर्ष 2005 में आरंभ की गई केन-बेतवा लिंक परियोजना में पन्ना टाइगर रिजर्व का एक बड़ा जंगली भाग डूब क्षेत्र में आ रहा है। जिसके कारण परियोजना का वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस लंबे समय से अटका हुआ था।

जिसका हल निकालने के लिए प्रदेश में नये टाइगर रिजर्व की संकल्पना नौरादेही-दुर्गावती टाइगर रिजर्व के रूप में की गई थी जिसमें नौरादेही वाइल्ड लाइफ सेंचुरी और दमोह जिले की वीरांगना दुर्गावती वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को मिलाकर नए टाइगर रिजर्व का कोर एरिया बनाये जाना प्रस्तावित किया गया था।

दरअसल केंद्रीय वाइल्ड लाइफ बोर्ड द्वारा केन बेतवा लिंक प्रोजेक्ट से पन्ना नेशनल पार्क को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए मप्र में एक नया टाइगर रिजर्व बनाने की शर्त रखी थी। इस को पूरा हुए बिना केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट को फाइनल वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस नहीं मिलेगी। इस प्रोजेक्ट से पन्ना पार्क का 46 फीसदी हिस्सा जिसमें 6 हजार 17 हेक्टेयर हिस्सा डूब और निर्माण से प्रभावित हो रहा है।

जिसके बाद राज्य सरकार वन मंत्रालय एवं जैव विविधता बोर्ड द्वारा प्रदेश में नये टाइगर रिजर्व का मसौदा प्रस्तावित किया गया था जिस पर राष्ट्रीय वन्य प्राणि बोर्ड द्वारा सहमति दी गई है।

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