नींद आई तो बच्चों के स्कूल बैग को तकिया बनाकर टाट पट्टी पर सो गये मास्साब

वायरल हुआ वीडियों तो मचा हड़कंप, विभाग ने कहा कार्रवाई करेंगे

When sleep came, Massab slept on the sackcloth by making children's school bags a pillow.
When sleep came, Massab slept on the sackcloth by making children's school bags a pillow.

(बुन्देली बाबू डेस्क) छतरपुर जिले के लवकुश नगर ब्लाक के ग्राम बजौरा के एक सरकारी स्कूल के एक वायरल वीडियो ने शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया है। सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे इस वीडियों में स्कूल के प्रिंसपल बच्चे के स्कूल बैग का तकिया बनाकर क्लास रूम की टाट पट्टी पर सोते हुए दिखाई दे रहे है।

अब मामला सार्वजनिक होने के बाद सरकारी स्कूल में अध्यापन की दुरावस्था पर गंभीर सवाल उठाये जा रहे है, मामले को लेकर हड़कंप मचने के बाद अब स्कूली शिक्षा विभाग के अधिकारी मामला संज्ञान में लेकर कार्रवाई की बात कर रहे है।

उक्त वायरल वीडियों जिले के लवकुश नगर विकासखण्ड के ग्राम बजौरा की शासकीय प्राथमिक शाला का बताया गया है। वायरल वीडियो में स्कूल के प्रिंसिपल राजेश कुमार अरजरिया स्कूल के अंदर ही बच्चों के बैठने के लिए जमीन पर बिछाई जाने वाली टाट पट्टी पर सोए हुए हैं।

उन्होंने बच्चों के स्कूल बैग को तकिया बनाया हुआ है। सोते समय ही किसी ने उनका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया है। जिस समय प्रिंसिपल कक्षा में आराम फरमा रहे हैं, उस समय बच्चे क्लास में नहीं हैं। आस-पास बच्चों का शोर सुनाई दे रहा हैद्य इस वायरल वीडियो ने एक बार फिर सरकारी शिक्षा तंत्र की पोल खोल दी है।

जिला शिक्षा अधिकारी एमके कौटार्य ने कहा है कि लवकुशनगर क्षेत्र के प्राथमिक शाला बजौरा में शिक्षक के सोने का वीडियो मेरे संज्ञान में आया है, जिसकी जांच के निर्देश संकुल प्राचार्य और विकासखंड शिक्षा अधिकारी को दिए गए हैं। सहायक शिक्षा अधिकारी आरती लखेरा ने कहा कि मामला बेहद गंभीर है। शिक्षक को नोटिस जारी कर दिया गया है। जांच के लिए एक टीम भी बनाई गई है। जल्द से जल्द शिक्षक पर कठोर कार्रवाई की जाएगीद्य

जहां शिक्षा विभाग के अधिकारी एक तरफ शिक्षा व्यवस्था को सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ ऐसे लापरवाह शिक्षकों की वजह से उन अधिकारियों की मंशा पूरी होती नहीं दिख रही है। विद्यालय आने के बाद ज्यादातर शिक्षक या तो इसी तरह से आराम फरमाते हैं, या फिर अपने मोबाइलों में व्यस्त रहते हैं। आए दिन शिक्षकों की ऐसी लापरवाही देखने को मिल रही है।

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