(देवरीकलाँ) देवरी थाना अंतर्गत विगत 4 वर्ष पूर्व फोरलाईन सड़क रहली तिगड्डे के समीप हुई युवक की जघन्य हत्या एवं हत्या उपरांत साक्ष्य विलोप करने के मामले में द्वितीय अपर एवं सत्र न्यायाधीश महेश कुमार झा ने प्रकरण के आरोपी दो सगे भाईयों को अपराध में दोष सिद्ध पाते हुए आजीवन कारावास के साथ ही 5 वर्ष सश्रम कारावास एवं 15-15 हजार रूपये अर्थदण्ड की सजा सुनाई है।
अभियोजन कहानी के अनुसार विगत 07 जुलाई 2020 को देवरी थाना पुलिस द्वारा सूचना प्राप्त होने के बाद थाना अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग 44 सागर-नरसिंहपुर मार्ग पर स्थित रहली तिगड्डे के समीप रोहन रैंकवार के खेत बागड़ से अज्ञात युवक का खून आलूदा शव नग्न अवस्था में बरामद किया गया था। मामले में पुलिस द्वारा घटना स्थल निरीक्षण में शव के समीप एक खून आलूदा पत्थर एवं एक हीरोहाण्डा बाइक, चाबी बरामद की गई थी। शव के हाथ पर ओम गुदा हुआ था जिसकी शिनाख्त झुनकू वार्ड निवासी राजेश उर्फ बड़े रैंकवार के रूप में की गई थी। पुलिस द्वारा पंचनामा कार्रवाई के बाद शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौपा गया था।
पुलिस द्वारा प्रकरण की विवेचना में गवाह एवं साक्ष्यों के आधार पर पाया कि प्रदीप उर्फ चक्कू पिता राधेश्याम तिवारी 30 वर्ष एवं दीपक उर्फ गुड्डू पिता राधेश्याम तिवारी 32 वर्ष निवासी श्रीराम कालोनी देवरी जि सागर मृतक के दोस्त थे एवं साथ में रहते थे। पुलिस कहानी के अनुसार दोनो सगे भाई दिनांक 6 जुलाई को मृतक के साथ चीमाढाना स्थित एक ढाबा पर गये थे जहाँ शराब पीने एवं खाना खिलाने की बात को लेकर उनका मृतक के साथ विवाद हुआ था। जिसके के बाद दोनो भाईयों ने एक राय होकर रामघाट तिराहे के समीप फोरलाईन सड़क के किनारे मृतक पर पत्थर एवं चाकू से वार किये जिससे उसके सिर, मुँह, गर्दन एवं कलाई पर गहरे घाव हो गये एवं मुँह का जबड़ा सहित हड्डी टूट गई जिससे उसकी मौत हो गई।
पुलिस द्वारा दोनो आरोपियों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त चाकू एवं मृतक के कपड़ों की राख एवं अधजले कपड़ों की टुकड़े आरोपियों के घर से बरामद किये गये थे। पुलिस द्वारा मामले में आरोपियों को मृतक की हत्या करने के उद्देश्य से चाकू एवं पत्थर से चोट पहुँचाकर मृत्यु कारित करने एवं बाद में साक्ष्य छिपाने का आरोपी पाया जिससे दोनो आरोपियों के विरूद्ध धारा 302, 34, 201 ता.हि. के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कर न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था।
माननीय न्यायालय द्वारा विचारण के दौरान दोनों पक्षों के गवाहों, साक्ष्यों एवं परिस्थितियों का परीक्षण कर आरोपियों को प्रकरण में दोषसिद्ध पाते हुए नृशंसतापूर्वक पत्थर एवं चाकू से हत्या करने एवं साक्ष्य विलोप करने के लिए मृतक के सारे कपड़े उतारकर उन्हे जलाने का दोषी माना। विद्वान न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि न्यायदृष्टांत बचन सिंह विरूद्ध पंजाब राज्य 1980 (2) एसीसी में मार्गदर्शक सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि धारा 302 भादवि के मामले में अपराधी की दोषसिद्धि होने पर आजीवन कारावास का दण्ड एक नियम है, और मृत्यु दण्ड अपवाद है। माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा यह भी अभिमत दिया गया है कि मृत्युदण्ड विरल से विरलतम मामले में ही देना चाहिए। उन्होने प्रकरण की परिस्थितियों एवं प्रमाणित
अपराधों की श्रेणी को गंभीर माना।
आरोपियों के विरूद्ध दोषसिद्ध होने पर न्यायालय द्वारा उन्हे धारा 302 में अजीवन कारावास एवं 10-10 हजार रूपये जुर्माना एवं धारा 201 में 5 वर्ष सश्रम कारावास एवं 5 हजार रूपये के अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। अभियोजन पक्ष की ओर से मामले की पैरवी सहायक जिला लोक अभियोजन पी.एल.रावत द्वारा की गई।
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