(बुन्देली बाबू डेस्क) देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को मध्यप्रदेश के सागर जिले के बड़तूमा ग्राम में सौ करोड़ की लागत से संत रविदास भव्य मंदिर, स्मारक का भूमि-पूजन किया। इस दौरान उन्होंने मंदिर की प्रतिकृति का भी अवलोकन किया । शनिवार दोपहर निर्धारित कार्यक्रम अनुसार उन्होंने कार्यक्रम स्थल पहुंचकर संत रविदास महाराज की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया और यहां मौजूद संतों का स्वागत किया एवं शिलान्यास पट्टिका का लोकार्पण किया।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री श्री मोदी ने गेंती से मिट्टी भी खोदकर निर्माण कार्य का श्रीगणेश किया। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां मंदिर की प्रतिकृति के संबंध में प्रधानमंत्री को विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम में उनके साथ राज्यपाल मंगूभाई पटैल, केंद्रीय मंत्री डा. वीरेंद्र खटीक भी मौजूद थे।
11.21 एकड़ भूमि में बनेगा संत रविदास का मंदिर
सागर जिले के बड़तूमा में निर्मित किये जा रहे महान समाज सुधारक एवं संत रविदास महाराज के मंदिर का निर्माण 101 करोड़ रूपये 11.21 एकड़ भूमि में कराये जाने की योजना है। मंदिर के साथ ही एक भव्य कला संग्रहालय भी बनाया जाएगा जिसमें विभिन्न धर्म एवं अघ्यात्म से संबंधित कलाकृतियों को संजोये की योजना है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक इस विशाल परिसर के मध्य में 5500 वर्गफुट में मुख्य भव्य मंदिर आकार लेगा, जो नागर शैली से बनाया जाएगा।
मंदिर में गर्भगृह, अंतराल मंडप तथा अर्धमंड का सुंदर निर्माण होगा। मंदिर केवल पूजा का स्थान न बनकर सांस्कृतिक, आध्यात्मिक संवाद का केन्द्र बनेगा। आगंतुक भारतीय संस्कार व संस्कृति के विषय में विस्तार से जान पाएंगे। आध्यात्मिक विश्वासों पर चिंतन एवं मनन के लिए यह केन्द्र मुख्य आकर्षण बनेगा
संग्रहालय के सामने बनेगा जलकुंड
संत रविदास संग्रहालय (म्यूजियम) के प्रवेश द्वार के सामने बड़ा सा जलकुंड आकार लेने वाला है। सुंदर नक्काशी और मूर्तियों के साथ इस जलकुंड के आसपास पेड़-पौधों से युक्त रमणियता प्रदान की जाएगी। जल से पवित्रता का अनुभव होता है। इसलिए कुंड के पास विहार करने योग्य विशाल गलियारा बनेगा। मंदिर के आसपास वर्तुलाकार की भूमि पर चार गैलेरी बनेगी। इसमें, संत रविदासजी के जीवन को विस्तृत रूप एवं आधुनिक संसाधनों की सहायता से प्रस्तुत किया जाएगा। संत रविदास की वाणी, उनके कार्य, सामाजिक योगदान, भक्ति आंदोलन में संत रविदास की भूमिका आदि विषयों को कलात्मक रूप से आधुनिक तकनीकों के साथ दर्शाया जाएगा।
विशाल पुस्तकालय में होगा रविदास साहित्य का संग्रह
दस हजार वर्गफीट में पुस्तकालय और संगत सभाखंड आकार लेगा। यहां संत रविदास जी की उपलब्धियों और शिक्षाओं को संग्रहित किया जाएगा। संत रविदासजी के कृतित्व के साथ यहां आध्यात्मिक, धार्मिक पुस्तकें भी रखी जाएगीं। यह पुस्तकालय साहित्य संसाधनों के संग्रहण के रूप में सामने आएगा। पुस्तकालय में संत रविदास के साथ अन्य महान गुरुओं एवं दार्शनिकों के विचार एवं ओजस्वी, वाणी, प्रवचनों एवं संभाषणों को संग्रहित कर रखा जाएगा। आगंतुक और संत रविदास के अनुयायी इस स्थान पर बैठकर साहित्य का अध्ययन कर सके, ऐसी व्यवस्था उपलब्ध होगी।
पुष्प की पंखुडियों के सदृश होगा संगत सभाखंड
संगत सभाखंड का आकार फूलों की पंखुड़ियों जैसा निर्मित होगा। नवीन एवं आर्कषक रूप के इस विशाल संगत सभाखंड में संत रविदास की वाणी के साथ कई अन्य धार्मिक, आध्यात्मिक, संशोधनलक्षी कार्य होंगे, जैसे व्याख्यान, कार्यशाला, संगोष्ठियां। इस स्थान पर आकर लोग अपने विचारों का सरलतम तरीके से आदान- प्रदान कर पायेंगे। संगत सभाखंड सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण एवं संवर्धन का स्रो बनेगा। यहां एक भक्त निवास, 12,500 वर्गफुट में बनेगा। यह क्षेत्र विश्वभर से पधारें साधकों, भक्तों, संशोधक, विद्वानों, यात्रियों की निवास व्यवस्था के लिए बनेगा। आरामदायक एवं रहने की समस्त व्यवस्थाएं यहां उपलब्ध होंगी। एयर कंडीशंड कमरें, साफ बिस्तर, संलग्न बाथरुम वाले पंद्रह कमरे होंगे। साथ ही, पचास व्यक्तियों के लिए छात्रावास की सुविधा भी प्राप्त होगी।
15 हजार वर्ग फीट में बनेगा अल्पाहार -गृह
परिसर में पंद्रह हजार वर्गफुट में विशाल अल्पाहार- गृह का निर्माण होगा। डोम की डिजाइन वाले इस अल्पाहार-गृह में नाश्ते एवं विभिन्न बानगियों का भोजन परोसा जाएगा। बैठने के लिए पारंपरिक मेज एवं कुर्सियों के साथ बाहरी बैठक व्यवस्था भी बनाई जाएगी। अल्पाहार गृह के पास दो बैठने योग्य स्थान ( गजेबो ) बनेंगे।
मुलाकाती इस स्थान का उपयोग बैठने, पढ़ने, नाश्ता करने, विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए कर पाएंगे। 1940 वर्गफुट में निर्मित यह क्षेत्र खुला होने के कारण आसपास का प्राकृतिक दृश्य का आनंद लेना सरलतम एवं सुकूनदेह होगा। संत रविदास मंदिर एवं संग्रहालय के माध्यम से आधुनिक विकास और कलात्मकता के साथ संत शिरोमणि रविदास की शिक्षा एवं दीक्षाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का मध्य प्रदेश सरकार का यह प्रयास निश्चित रूप से सार्थक एवं स्वागत योग्य है।
यह आध्यात्मिक स्थान समग्र विश्व की विभिन्न संस्कृति के साधकों के लिए वैचारिक, सार्वभौमिक एवं सर्वस्पर्शी केन्द्र बिंदू बनेगा। साथ ही रहस्यवाद पंथ की गहरी समझ को और विस्तृत एवं व्यापक बनाएगा।
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