(बुन्देली बाबू) भृष्टाचार के मामले में लोकायुक्त की अपील पर फैसला देते हुए इंदौर के स्पेशल कोर्ट ने मामले के आरोपी दिवंगत डिप्टी कलेक्टर एवं उनके परिजनों की 1.28 करोड़ कीमत की चल अचल संपत्ति जब्त करने के आदेश दिये है। भृष्टाचार के मामले इस ऐतिहासिक फैसले के बाद अन्य ऐसे मामलों में आय से अधिक अनुपातहीन संपत्ति अर्जन के आरोपी की मृत्यु के बाद भी राजसात किये जाने की राह आसान होगी।
दरअसल यह मामला लोकायुक्त की कार्रवाई से जुड़ा हुआ है, वर्ष 2011 में मध्सयप्रदेश के शाजापुर के डिप्टी कलेक्टर हुकुमचंद सोनी के यहां लोकायुक्त का छापा पड़ा था। इस छापे में डिप्टी कलेक्टर को भ्रष्टाचार कर आए से अधिक संपत्ति व अपने रिश्तेदारों के नाम अर्जित करने का मामला पाया गया था। विचारण के दौरान आरोपी हुकुमचंद सोनी की मौत हो गई थी। जिसके बाद लोकायुक्त द्वारा कोर्ट से उनकी एवं परिजनों की संपत्ति जब्त किये जाने की अपील की गई है।
जिसके बाद विशेष न्यायालय के न्यायाधीश गंगाचरण दुबे इंदौर ने शाजापुर के तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर हुकुमचंद सोनी, उनकी पत्नी, बेटियों और समधन की 1.28 करोड़ रुपए की चल-अचल संपत्ति राजसात करने के आदेश दिए हैं। मामला आय से अधिक संपत्ति का है। लोकायुक्त ने 2011 में केस दर्ज किया था।
शासकीय सेवा में भृष्टाचार पर गंभीर टिप्पणी
भ्रष्टाचार के एक मामले में कोर्ट ने डिप्टी कलेक्टर व उनके परिजन की 1.28 करोड़ की चल-अचल संपत्ति राजसात करने का आदेश दिया। कोर्ट ने फैसले में गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि भ्रष्टाचार समाज व परिवार के लिए खतरनाक है। भ्रष्ट आचरण प्रभावित व्यक्ति के जीवन पर्यंत और मृत्यु के बाद भी उसके कार्यों से दिखाई देता है। ऐसा कृत्य निंदनीय होकर उदारता के योग्य नहीं होता है।
मध्यप्रदेश विशेष न्यायालय अधिनियम 2011 के तहत गठित विशेष न्यायालय के न्यायाधीश गंगाचरण दुबे ने शनिवार को लोकायुक्त के एक मामले में आदेश जारी किया। प्रकरण के अनुसार, डिप्टी कलेक्टर हुकुमचंद सोनी के यहां लोकायुक्त पुलिस ने 27 जून 2011 को छापा मारा था। मालूम हो, सोनी का निधन हो चुका है। सोनी के यहां से 1.28 करोड़ की चल-अचल संपत्ति व बीमा पॉलिसी मिली, जो उनके साथ पत्नी व पांच बेटी, दामाद व समधन के नाम पर भी थी। लोकायुक्त पुलिस ने संपत्ति को राजसात करने के लिए कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें सभी को नोटिस देकर जवाब मांगा गया।
जिला अभियोजन अधिकारी संजीव श्रीवास्तव के निर्देश पर विशेष लोक अभियोजक डॉ. पदमा जैन ने पैरवी की। न्यायाधीश दुबे ने अपने आदेश में सोनी की पत्नी व बेटियों की ओर से पेश की गई दलीलों को खारिज कर दिया। स्त्री धन को छोड़कर 1.28 करोड़ की संपत्ति राजसात करने का आदेश किया। भ्रष्टाचार को लेकर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि जैसे मछली पानी में रहते हुए कब पानी पीती है या नहीं पीती है, इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। उसी प्रकार सरकारी सेवक सेवा के दौरान कब अपने पद का दुरुपयोग कर सकता है या नहीं, इसका अनुमान लगाना कठिन होता है।
क्लर्क से शुरू की थी नौकरी कई पदों पर रहे
सोनी की नियुक्ति 19 नवंबर 1975 को लिपिक के रूप में हुई थी। विभागीय परीक्षाएं देकर नायब तहसीलदार, तहसीलदार और डिप्टी कलेक्टर तक पहुंचे। नौकरी के दौरान वे पूरे समय उज्जैन संभाग में ही पदस्थ रहे। लोकायुक्त जांच में खुलासा हुआ था कि सोनी के पास आय से 356.96 प्रतिशत अधिक संपत्ति पाई गई।
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