(बुन्देली बाबू डेस्क) प्रदेश की महिलाओं के स्वास्थ एवं पोषण की स्थिति में सुधार कर उन्हे आर्थिक स्वाबलंबी बनाने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही ’’मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना’’ को महिला उत्थान के लिए मील का पत्थर माना जा रहा है। योजना की सफलता के दावों के शोर के बीच विगत बुधवार को आबकारी विभाग द्वारा सागर जिले के बंडा एवं छानबीला थाना क्षेत्रों में 2 महिलाओं को अवैध शराब के साथ पकड़ा है। जिनके विरूद्ध आबकारी अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है। अब अहम सवाल ये है कि प्रदेश सरकार द्वारा योजना संचालन के लगभग 11 माह बाद क्या महिलाओं की आर्थिक दशा में परिवर्तन सुनिश्चत हुआ है। क्या सरकार से वित्तीय अनुदान प्राप्त कर रही महिलायें आर्थिक स्वालंबन की ओर कदम बढ़ा रही है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल सागर जिले में अवैध शराब के विनिर्माण, संग्रहण व विक्रय के विरुद्ध जिला कलेक्टर सागर दीपक आर्य द्वारा विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत आबकारी विभाग के अमले द्वारा अवैध शराब विक्रय रोकने की मंशा से बंडा विधान सभा क्षेत्रांतर्गत 03 स्थानो पर विधिवत दबिश दी गयी थी। आबकारी विभाग द्वारा की गई इस कार्रवाई में बंडा के वार्ड क्रमांक 03 की निवासी सूरज बाई से 30 पाव देशी मदिरा मसाला जब्त की गई है। साथ ही छानबीला थाना क्षेत्र की निवासी रेखा खंगार से 15 पाव प्लेन शराब जब्त की गई है।
विभाग द्वारा अभियान में छानबीला थाना अंतर्गत की गई एक अन्य कार्रवाई में सत्येन्द्र नरवरिया जो ग्राम राजगढ़िया गोरमी जिला भिंड का मूल निवासी है एवं वर्तमान में छानबीला में मिडवे ट्रीट के बाजू में निवास करता है के पास से 35 पाव देसी मदिरा मसाला जब्त की गई है। विभाग द्वारा दबिश देकर की गई इन कार्रवाईयों में आबकारी अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किये गये है। कार्यवाही के दौरान आबकारी उपनिरीक्षक वृत्त प्रभारी बंडा श्री डी.के. सिंह, आबकारी आरक्षक सतीश सिंह, नगर सैनिक प्रेम कुमार राय, प्राण सिंह सम्मिलित रहे। प्रदेश सरकार द्वारा महिलाओं के आर्थिक स्वाबलंबन के लिए चलाई जा रही मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना के बाद भी महिलाओं ऐसी स्थिति कई सवालों को जन्म देती है। शासन द्वारा योजना में दी जा रही आर्थिक सहायता क्या महिलाओं की दशा में सुधार परिलक्षित हुआ है ये अहम सवाल है ?
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क्या है ’’मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना’’
दर असल मध्यप्रदेश की महिलाओं के आर्थिक स्वालम्बन उनके तथा उन पर आश्रित बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सतत सुधार तथा परिवार में उनकी निर्णायक भूमिका सुदृढ़ करने के उद्देश्य से प्रदेश की शिवराज सरकार द्वारा 28 जनवरी 2023 को ’’मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना’’ आरंभ की गई थी। जिसके तहत प्रदेश में लगभग 1 करोड़ 29 लाख महिलाओं को 1250 रूपये प्रतिमाह आर्थिक सहायता दिये जाने की बात प्रदेश सरकार द्वारा की जा रही है। जिसे धीरे धीरे बढ़ाकर 3 हजार रूपये प्रतिमाह किये जाने की योजना है।
योजना के आरंभ किये जाने को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा उम्मीद जताई गई थी कि योजना के क्रियान्वयन से न केवल महिलाओं एवं उन पर आश्रित बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति में सुधार परिलक्षित होगा वरन् महिलायें अपनी प्राथमिकता के अनुसार व्यय करने हेतु आर्थिक रूप से पहले की अपेक्षा अधिक स्वतंत्र होगीं। महिलायें प्राप्त आर्थिक सहायता से न केवल स्थानीय उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर स्वरोजगार/आजीविका के संसाधनों को विकसित करेंगी वरन् परिवार स्तर पर उनके निर्णय लिये जाने में भी प्रभावी भूमिका का निर्वहन कर सकेंगी।
कर्ज के बोझ लदे मध्यप्रदेश में क्या होगा योजना का भविष्य
दरअसल मध्यप्रदेश लंबे समय से आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहा है, विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं के संचालन सहित सरकारी कर्मचारियों के वेतन के लिए प्रदेश सरकार द्वारा कर्ज लिया जा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्ज को लेकर सामने आई मीडिया रिर्पाेटों में दावा किया गया है कि मध्यप्रदेश पर लगभग 4 लाख करोड़ रूपये का कर्ज है जो लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही ’’मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना’’ के भविष्य पर भी सवाल उठाये जा रहे है। योजना के हितग्राहियों की इतनी बड़ी संख्या के कारण प्रदेश सरकार इसका भविष्य में कैसे संचालन कर सकेगी इसको लेकर संशय बना हुआ है।
कब होगी योजना की समीक्षा
विधानसभा चुनाव के पहले शिवराज सरकार द्वारा लागू की कई इस योजना को 11 माह बीतने को है, महिलाओं में आर्थिक स्वाबलंबन के उद्देश्य लागू की गई इस योजना से लाभान्वित कितनी महिलाओं ने स्वरोजगार और आजीविका स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाये है इसकी समीक्षा आवश्यक है। क्या इस योजना के संचालन के बाद प्रदेश में पोषण की कमी के चलते दुर्बलता से जूझ रही महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ में सुधार परीलक्षित हुआ है। यदि ऐसा होता है तो प्रदेश की आधी आबादी महिला वर्ग के लिए आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में क्रांतिकारी कदम साबित होगा। परंतु कर्ज के बोझ से दबे प्रदेश में इस महत्वकांक्षी योजना की समीक्षा करने का समय आ चुका है।
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