रामराज में गोपाल भार्गव का कथावाचक अवतार हुआ वायरल

9 बार के विधायक एवं पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव भजन गाते नजर आये

Gopal Bhargava's Katha Vachak avtar in Ramraj goes viral.
Gopal Bhargava's Katha Vachak avtar in Ramraj goes viral.

(बुन्देली बाबू) सागर जिले की रहली विधानसभा से लगातार 9 बार निर्वाचित होकर रिकार्ड बना चुके प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव कथावाचक के वेश में सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहे है। उनके अपने क्षेत्र में चल रही भागवत कथा के वीडियों में वह कथाव्यास के रूप में कथा वाचन करते और भजन गाते नजर आ रहे है। यह वीडियो उनके द्वारा अपनी सोशल मीडिया साईट एक्स एवं फेसबुक पर शेयर किया गया है जिसे लोगो द्वारा खासा पसंद किया जा रहा है।

अपने बेबाक बयानों एवं बिंदास कार्यशैली के लिए पहचाने जाने वाले गोपाल भार्गव का अंदाज निराला है इसी के चलते वह लाखो दिलों पर राज करते है। उनकी हाजिर जबाबी और उनके दृष्टिकोण की सराहना उनके विपक्षी भी करते है। इन दिनो वह अपने नये कथा व्यास के अवतार को लेकर चर्चाओं में है। उनके द्वारा सोशल मीडिया साइट एक्स एवं फेस बुक पर शेयर किये गये वीडियों में वह नये लुक में नजर आ रहे है। अपने धार्मिक और अध्यात्मिक ज्ञान को लेकर वह वैसे भी चर्चाओं का केन्द्र रहते है इस बार उन्होंने भगवा चोला ओढ़ रखा है। माथे पर चंदन का टीका है, गले में माला है और व्यास गादी पर नजर आ रहे है। ये वीडियो खुद उन्होंने स्वयं इंटरनेट मीडिया पर शेयर किया।

बनवारी रे जीने का सहारा तेरा नाम रे…
दरअसल सागर जिले में गढ़ाकोटा कस्बे के पटेरिया धाम में श्रीमद्भ भागवत कथा चल रही है। इसमें मंगलवार को भार्गव शामिल हुए थे। इसी मौके पर उन्होंने कथावाचक की वेशभूषा में भजन गाया जिसके बोल है वीडियो में वह बनवारी रे, जीने का सहारा तेरा नाम रे मुझे दुनिया वालों से क्या काम रे..। झूठे बंधन, झूठी है ये काया, यहां झूठ का आना-जाना, झूठी है ये माया भजन गा रहे हैं। कहा कि बाल्यावस्था में एक गीत गाया करता था। 50 साल के बाद फिर से उसे दोहरा रहा हूं।

गढ़ाकोटा में करते है संस्कृत विद्यालय का संचालन
गौरतलब है कि भार्गव गढ़ाकोटा में संस्कृत विद्यालय का संचालन करते हैं। वे समय-समय पर इस तरह के आयोजन में शामिल होते हैं। वे 1985 से अब तक रहली विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं। 2003 से लगातार 2018 तक मंत्री रहे। इसके बाद कांग्रेस की सरकार बनने पर डेढ़ साल तक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे। इसके बाद 2020 में पुनरू भाजपा की सरकार बनने पर केबिनेट मंत्री रहे, लेकिन डा. मोहन यादव की सरकार बनने पर उन्हें केबिनेट में जगह नहीं दी गई। वहीं विधानसभा चुनाव में प्रचार के दौरान भार्गव स्वयं को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बता रहे थे।

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