(बुन्देली बाबू) नरसिहपुर जिले के गाडरवारा डमरू घाटी स्थित शिव मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले विशाल मेले को लेकर व्यापक तैयारिया चल रही है। बुधवार को जिले की कलेक्टर श्रीमति शीतला पटले ने अधिकारियों के साथ आयोजन स्थल पर पहुँचकर तैयारियों का जायजा लिया एवं सुरक्षा व्यवस्था सहित सुरक्षित आवागमन को लेकर आवश्यक निर्देश दिये। इस मेले में संपूर्ण जिले सहित अन्य स्थानों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होते है।
कलेक्टर श्रीमती शीतला पटले ने महाशिवरात्रि के पर्व पर गाडरवारा में आयोजित होने वाले 3 दिवसीय मेले एवं डमरू घाटी में स्थित भगवान शिव मंदिर पहुंचकर महाशिवरात्रि की तैयारियों को लेकर की जा रही व्यवस्थाओं को देखा। विदित है कि मेले के दौरान समीपवर्ती जिले के विभिन्न क्षेत्रों और अन्य प्रांतों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। उन्होंने सम्पूर्ण मेला क्षेत्र में आवश्यकतानुसार विभिन्न महत्वपूर्ण स्थलों पर पर्याप्त पुलिस बल की व्यवस्था के निर्देश दिये।
कलेक्टर श्रीमती पटले ने विद्युत संबंधी व्यवस्थाओं में सुरक्षा की दृष्टि से पूरी सावधानी रखने, पहुंच मार्गों में जगह-जगह रेडियम संकेतक लगाने, मेला क्षेत्र की महत्वपूर्ण सड़कों व पुल- पुलियों की आवश्यकता के अनुरूप मरम्मत करने, मेला स्थल पर एंबुलेंस की व्यवस्था करने, सुलभ व चलित शौचालयों आदि की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिये। मुख्य सड़क मार्ग पर अनावश्यक भीड़ न हो इसके लिए ट्रेफिक प्लान तैयार करने के निर्देश भी मौके पर मौजूद अधिकारियों को दिये। उन्होंने मेला मार्ग व मेला स्थल में पर्याप्त रोशनी, स्वच्छता, साईनबोर्ड, स्वास्थ्य सुविधाओं, वाहन पार्किंग, जांच नाकों, बांस-बल्ली, अलाव, क्रेन आदि की व्यवस्था सहित अन्य आपात व्यवस्थाओं की तैयारी के संबंध में भी आवश्यक दिशा निर्देश दिये।
प्रतिवर्ष आयोजित होता है विशाल मेला
गाडरवारा की प्रसिद्ध शक्कर नदी के तट पर स्थित डमरू घाटी शिव भक्तों की आस्था का केन्द्र है। प्रतिवर्ष शिवरात्रि पर्व पर इस स्थान पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें लगभग 1 लाख से अधिक श्रद्धालु शामिल होते है। जिले का प्रमुख पर्यटक स्थल होने के कारण धार्मिक त्योहार के अतिरिक्त सामान्य दिनों में भी यहाँ पर्यटको की भीड़ रहती है। लोग अपने परिवार के साथ यहाँ घूमने आते है।
डमरू घाटी का इतिहास
शक्कर नदी के पूर्वी तट पर स्थित डमरू घाटी का इतिहास आदिकालीन है। परंतु शिवधाम के रूप में इसका विकास 2 दशक पूर्व आरंभ हुआ था। दरअसल गाडरवारा में शक्कर नदी के किनारे रेत के टीलों का आकार डमरू के जैसा था जिसके कारण लोग इसे डमरू घाटी के नाम से पुकारते थे। कस्बे की आस्थाये भी शक्कर नदी के निर्मल जल और उपजाऊ कछार से जुड़ी हुई है। विगत 2 दशक पहले गाडरवारा में पदस्थ हुए एसडीओपी बीएस परिहार द्वारा स्थानीय लोगो के साथ मिलकर यहाँ शिवधाम मंदिर का निर्माण आरंभ कराया गया था।
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आधुनिक शैली से बने इस मंदिर को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किये जाने के कारण यह आकर्षण का केन्द्र बन गया। यहाँ शक्कर नदी के तट पर डमरू के आकार की एक घाटी में एक भव्य शिव मंदिर बनाया गया था। इस मंदिर में शिवलिंग स्थापित किया गया है और पवनपुत्र हनुमान जी की महान प्रतिमा के बगल में प्रतिष्ठित किया गया है। उक्त मंदिर में 15 फीट की नींव दी गई है।शिव की प्रतिमा के 10 फीट नीचे, 7 फीट ऊंची शिव की नंदी 7550 फीट के अर्ध-चक्र में बनी है। सीमेंट एवं प्लास्टर आफ पैरिस से बनाई गई भगवान शिव, हनुमान की प्रतिमायें, शिवलिंग एवं बतख की मूर्तिया लोगो को आकर्षित करती है।
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