मसूरवावरी नहर विस्तार में ठेकेदार का प्रस्ताव रद्ध किसानों की बड़ी जीत

रंग लाया किसानों का संघर्ष, योजना में शामिल 9 गांवो तक पहुँचेगा नहर से पानी

Contractor's proposal for Masurvavari canal expansion cancelled, big victory for farmers
Contractor's proposal for Masurvavari canal expansion cancelled, big victory for farmers

(देवरीकलाँ) सागर जिले के देवरी विकासखण्ड में मसूरवारी जलाशय की बाई तट नहर विस्तार परियोजना में स्वीकृत परियोजना से पृथक ठेकेदार द्वारा दिये गये प्रस्ताव से प्रभावित कृषकों के संघर्ष की जीत हुई। विभाग के अधीक्षण यंत्री सागर ने ठेकेदार द्वारा प्रस्तावित मसौदे को दरकिनार कर परियोजना में पूर्व से प्रस्तावित एवं स्वीकृत कार्य पर मुहर लगा दी है। लगभग 10 करोड़ 64 लाख लागत की इस परियोजना के अंतर्गत जलाशय की बाई नहर का विस्तार कर 9 ग्रामों की 1 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित कराया जाना प्रस्तावित था। परंतु ठेकेदार द्वारा उक्त ग्रामों में नहरों की खुदाई के बाद 4 ग्रामों को परियोजना से पृथक किये जाने का नया प्रस्ताव विभाग को दिया था जिसको लेकर किसान खासे नाराज थे और बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे थे। परंतु मामले में विभाग द्वारा ठेकेदार द्वारा प्रस्तावित मसौदे को अनुचित मानते हुए दरकिनार कर दिया है। जिसके बाद संबंधित ग्रामों के कृषकों में खुशियों की लहर है।

क्या है पूरा मामला
दरअसल पूरा मामला सागर जिले के देवरी विकासखण्ड की मसूरवारी लघु सिंचाई परियोजना से जुड़ा हुआ है। विगत 2016 में प्रदेश सरकार द्वारा देवरी विकासखण्ड में पानी की कमी से जूझ रहे 9 ग्रामों के कृषकों को फसलों की सिंचाई हेतु नहर विस्तार कार्य के लिए 10 करोड़ 64 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई थी। योजना में मसूरवारी जलाशय की बांयी तट नहर की लंबाई में विस्तार एवं सरंचना में सुधार कार्य सहित 2 माइनर नहरों का निर्माण कार्य प्रस्तावित था। इस कार्य से विकासखण्ड में जलआभाव से जूझ रहे ग्राम गोरखपुर, सेमराखेरी, कटंगी, सिलारी, पुरैनाकरन, खमरिया, बिछुआ भवतरा,, डोंगर सलैया एवं समनापुर सेठ के कृषकों की 1 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होने का प्रावधान था।

जिसमें 18.5 किलोमीटर लंबाई में नहर का निर्माण एवं मरम्मत कार्य कराया जाना था। टर्नकी पद्धति से कराये जाने वाले इस कार्य का अनुबंध विभाग द्वारा विगत 22 अप्रेल 2022 ठेका कंपनी मेसर्स कौशल प्रसाद पटैल रीवा के साथ कराया गया था।योजना में अधिग्रहीत की गई 149 कृषकों की भूमि के ऐवज में भूअर्जन की कार्रवाई में अवार्ड राशि 354.52 लाख भुगतान किया गया था। साथ ही ठेका कंपनी द्वारा 18480 मीटर लंबाई में नहर की खुदाई एवं गहराई का कार्य भी कराया गया। परंतु बाद में ठेका कंपनी द्वारा जून 2023 से योजना का कार्य बंद कर दिया गया। परियोजना में मनमाफिक संशोधन को लेकर प्रयासरत ठेका कंपनी विभाग द्वारा स्वीकृत डीपीआर से पृथक नया पुनरीक्षित प्रस्ताव दिया गया था जिसमें प्रस्तावित परियोजना के 4 ग्रामों को अलग कर दिया गया था। जिससे सिंचाई सुविधा से वंचित हो रहे किसान खासे नाराज थे। साथ ही शासन को भूअर्जन में कृषकों को भुगतान की गई करोड़ों रूपये के साथ ही नहर खुदाई में खर्च की गई भारी भरकम राशि की चपत लगाने की पूरी संभावना थी।

किसानों का संघर्ष रंग लाया
9 सिंचाई प्रभावित ग्रामों में नहर निर्माण से जुड़े इस मामले में अपने आर्थिक हितों के संवर्धन के लिए ठेका कंपनी द्वारा पूर्व में भी विभाग से पुनरीक्षित प्रस्ताव का अनुमोदन किये जाने की मांग से किसान खासे नाराज थे। किसानों को अंदेशा था कि ठेका कंपनी के राजनैतिक रसूख एवं विभागीय घालमेल के कारण उनके सूखाग्रस्त ग्रामों में नहर का पानी नही पहुँच सकेगा। जिसके चलते किसानों द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्री सहित विभाग के आला अधिकारियों को शिकायत भेजी थी इस लड़ाई में उन्हे स्थनीय जनप्रतिनिधियों एवं मीडिया का भी भरपूर साथ मिला। मामले में आंदोलनरत किसानों के पक्ष को उचित ठहराते हुए विभाग ने परियोजना में पूर्व से प्रस्तावित कार्य को पूर्ण कराये जाने का आदेश दिया है।

विभाग ने ठेकेदार के पुनरीक्षित प्रस्ताव को अनुचित माना
किसानों के अनुनय पर नीतिसंगत विचार करते हुए विभाग के अधीक्षण यंत्री जल संसाधन मंडल सागर द्वारा 25 मई 2024 को जारी आदेश में कहा गया कि मंसूरवारी बांयी तट नहर विस्तार निर्माण के अतिरिक्त 1 हजार हेक्टेयर सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश शासन द्वारा 1063.89 लाख रूपये की प्राशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई थी जिसमें 3 ग्रामों के कृषक लाभान्वित हो रहे थ। उक्त कार्य में भूअर्जन की कार्रवाई कर 354.52 लाख रूपये भूअर्जन में भुगतान किये गये है। मुख्य अभियंता द्वारा अनुबंधित होने के बाद निविदाकार को प्रस्तावित एल-सेक्शन का अनुमोदन किया गया था। वर्तमान में निविदाकार द्वारा प्रस्तुत पुनरीक्षित प्रस्ताव पूर्व में स्वीकृत प्रशाकीय स्वीकृति से हटकर परिवर्तन किये जाने के कारण अनुचित माना गया है। आदेश में स्पष्ट किया गया कि निविदा प्रपत्र एवं अनुबंध में उल्लेखित कार्याे के स्वरूप में परिवर्तन कर शर्ताे का उल्घंन किया जाकर कार्य कराया जाना स्थापित नियमों एवं प्रावधानों के विपरीत होकर अनियमिता की श्रेणी में आता है। विभाग द्वारा किसानों के पक्ष में दिये गये निर्णय से कृषकों में खुशियों की लहर है। उन्होने मामले में विभाग के न्यायसंगत रवैये की सराहना करते हुए विभाग एवं मध्यप्रदेश शासन का आभार व्यक्त किया है।

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