मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर ने कोर्ट के पूर्व आदेश के पालन में लापरवाही बरतने पर छिंदवाड़ा के पुलिस कप्तान विनायक वर्मा को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं।
12 अप्रेज करे जारी आदेश में हाई कोर्ट ने डायरेक्टर जनरल आफ पुलिस (डीजीपी) को निर्देश दिए हैं कि छिंदवाड़ा पुलिस अधीक्षक को तत्काल निलंबित करें।
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ पीठ ने तल्ख टिप्पणी में कहा कि अधिकारी अदालत के आदेश को गंभीरता से नहीं लेते हैं। यहां तक कि शासकीय अधिवक्ता भी इस संबंध में जागरूक नहीं हैं।
क्या है पूरा मामला
दरअसल विगत 28 मार्च को हाई कोर्ट ने एक विचाराधीन मामले में तत्कालीन एनएचआई डायरेक्टर डी अनिल कुमार के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी कर तामीली के निर्देश दिए थे। वारंट तामील कराने की जिम्मेदारी छिंदवाड़ा एसपी को दी थी।
बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान एसपी की ओर से रजिस्टार को पत्र प्रस्तुत कर बताया गया कि प्रोजेक्ट डायरेक्टर का तबादला हो गया है, इसलिए वारंट तामील नहीं हो पाया। पत्र में यह उल्लेख नही किया गया था कि उनका ट्रांसफर कब हुआ और किन कारणों से गैर जमानती वारंट तालील नही किया जा सका।
मामले में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा इस पत्र अस्वीकार किया गया एवं कहा गया कि ऐसा लगता है कि कोर्ट के गैर जमानती वारंट को गंभीरता से नही लिया है।
कोर्ट ने मध्यप्रदेश पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया है कि कोर्ट के अगले आदेश तक एसपी छिंदवाड़ा को निलंबित किया जाये। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिया है कि उक्त गैर जमानती वारंट डीजीपी मध्यप्रदेश के जरिये तामील कराया जाये।
एनएचआई ने नही दिया था संकीर्तन मंडल की भूमि का पूरा मुआवता
दरअसल छिंदवाड़ा में बस स्टैंड से चार फाटक जाने वाने खजरी मार्ग पर एनएचएआइ ने तुलसी रामायण संकीर्तन मंडल की करीब 1254 वर्गफीट जमीन अधिग्रहीत की थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता वेद प्रकाश नेमा ने बताया कि इसमें से 618 वर्गफीट का मुआवजा नहीं दिया था।
वर्ष 2018 में हाई कोर्ट ने मुआवजा देने के निर्देश दिए थे। जब कार्रवाई नहीं हुई तो अवमानना याचिका दायर की गई। कई पेशियों से जवाब नहीं आने पर 28 मार्च को कोर्ट ने एनएचएआइ के अधिकारी के विरुद्ध वारंट जारी करने के निर्देश दिए थे।
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