खतौला काम्पलेक्स- दो दशक पानी के इंतजार में बीते अब सुस्त कार्य ने उम्मीदे तोड़ी

जल संसाधन विभाग और ठेका कंपनी की अकर्मण्यता से ग्रामीणों में असंतोष

Khataula Complex - Two decades spent waiting for water, now the sluggish work has broken hopes
Khataula Complex - Two decades spent waiting for water, now the sluggish work has broken hopes

परसराम साहू (देवरीकलाँ) देवरी विकासखण्ड के जल आभाव से जूझ रहे ग्रामों के कृषको को कृषि सिंचाई सहित अन्य आवश्कताओं के लिए जल आपूर्ति के उद्देश्य से आरंभ की गई खतोला जलाशय परियोजना एक दशक के बाद भी विभागीय अकर्मण्यता और टर्न की पद्धति से कार्य कर रही निर्माण कंपनी और विभाग की सुस्त गति सहित राजस्व एवं वन भूमि संबंधी मामलों के निपटारे में बिलंब के चलते अधर में लटकी हुई है।

परियोजना अंतर्गत ग्राम सेंदवारा और बम्होरी में निर्मित किये जा रहे जलाशयों के डूब क्षेत्र में आ रही कृषि भूमि एवं वनभूमि के अधिग्रहण सहित वन विभाग के मामलों के निराकरण की जिम्मेदारी ठेका कंपनी के जिम्मे है। जिनके निराकरण में चल रही सुस्त गति के कारण कार्य की आधी समय अवधि से अधिक समय बीत जाने के बाद भी धरातल पर कुछ खास कार्य नही हो सका है। लंबे समय से बांध के पानी की उम्मीद लगाये बैठे क्षेत्र के लगभग दो दर्जन ग्रामों के कृषक परियोजना की कछुआ रप्तार से दुखित है।

कब साकार होगा 2 दशकों का सपना

खतौला बांध परियोजना विगत लंबे समय से चर्चाओं का केन्द्र है, लगभग दो दशक पहले विभाग के तत्कालीन अधिकारियों द्वारा खतोला परियोजना के नाम से वृहद बांध निर्माण का सर्वे कार्य कराया गया था। परंतु प्रस्तावित सर्वे में बांध के डूब क्षेत्र में कई ग्रामों की कृषि भूमि जाने के कारण कृषकों ने इसका खुला विरोध किया था जिसके कारण उक्त मसौदा ठंडे बस्ते में चला गया और 9 वर्ष पूर्व फिर नये सिरे से सर्वे कार्य किया गया और नये प्रारूप में दो स्थानों पर छोटे-छोटे बांधों के निर्माण को मंजूरी दी गई। जिसके बाद परियोजना का मौजूदा स्वरूप सामने आया जिसमें 49.10 करोड़ की लागत से 2 जलाशयों का निर्माण प्रस्तावित है।

परियोजना से होगी 14 सौ हेक्टेयर भूमि की सिंचाई

विगत वर्ष 2016 एवं 17 के दौरान जल संसाधन विभाग द्वारा 4910 लाख लागत से स्वीकृत खतोला काम्पलेक्स की मौजूदा स्वीकृत परियोजना अंतर्गत 1415 हेक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई प्रस्तावित है, परियोजना में निर्मित हो रहे बम्होरी बांध की जल भराव क्षमता 5.021 एमसीएम है जिसमें 89.31 हेक्टेयर निजी एवं वन भूमि डूब क्षेत्र प्रभावित है जिनके भूअर्जन की कार्रवाई की जा रही हैं इस बांध से 785 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई प्रस्तावित है।

इसी प्रकार सेंदवारा जलाशय की जलभराव क्षमता लगभग 4 एमसीएम है जिसके डूब क्षेत्र में 87.08 हेक्टेयर निजी एवं शासकीय भूमि आ रही है। इस बांध से 630 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई प्रस्तावित है। परियोजना पूर्ण होने पर निर्मित दोनो बांधो से लगभग 2 दर्जन ग्रामों की कृषि भूमि को सिंचाई सुविधा प्राप्त होगी एवं लगभग 50 ग्रामों में भूमिगत जल स्तर में वृद्धि का लाभ मिलने की उम्मीद है।

निर्माण की कछुआ गति से अधर में लटकी परियोजना

परियोजना के बांधों के निर्माण को लेकर उम्मीद की जा रही थी कि शीत एवं ग्रीष्म ऋतुओं ही इसकी पटल भराई बांध निर्माण सहित नाला क्लोजर की कार्रवाई पूर्ण कर ली जाएगी। जिससे वर्षा काल में बांध में पानी जमा होने के चलते आगामी रवि सीजन में कृषकों के खेतों को सिंचाई के लिए पानी के लिए मिल सकेगा परंतु बांध के भूमि पूजन के लगभग 4 माह बाद भी अब तक दोनो बांध का निर्माण कार्य आरंभ नही हो सका है।

ठेका कंपनी का कार्य परियोजना में अर्जित सरकारी भूमि और कुछ किसानों तक ही सीमित है जिसके कारण ग्राम सेंदवारा में पटल खुदाई महज कुछ मीटर में ही हो सकी है। मौसम की विपरीत परिस्थतियों और वर्षाकाल के पूर्वानुमानों के बाद अब योजना कार्य अगामी शीत ऋतु में ही जमीन पर दिखने की उम्मीद है।

आधा समय हरभजन में बीता कब होगा भंडारा

जल संसाधन विभाग और ठेका कंपनी की सुस्त कार्यप्रणाली और अकर्मण्यता पर बुंदेली कहावत सटीक बैठती है जिसमें कहा जाता है कि कीमती समय गवांने के परिणामों पर संशय बना रहता है।

मौजूदा खतौला काम्पलेक्स परियोजना में ठेका कंपनी और विभाग की जुगलबंदी सिर्फ व्यर्थ समय गवांने तक सीमित है जिसके कारण परियोजना का भविष्य और पानी के प्रत्याशा में बैठे कृषकों की उम्मीदे अंधकार में है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक परियोजना को पूर्ण करने के लिए विभाग द्वारा 18 माह की अवधि निर्धारित की गई है, जिसमें से 10 माह बीतने के बाद भी ठेका कंपनी भूमि अधिग्रहण एवं मुआवजा संबंधी प्रशासनिक कार्रवाई पूर्ण करा सका है।

अनुबंध के अनुसार ठेका कंपनी द्वारा विगत वर्ष जुलाई में कार्य आरंभ किया जाना था परंतु भूमिपूजन सहित सियासी रस्साकशी के कारण कार्य दिसंबर में आरंभ हो सका था। भूअर्जन कार्रवाई में धारा 19 की कार्रवाई पूर्ण होने के बाद उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष अगस्त माह तक कृषको के खाते में मुआवजा राशि पहुँच जाएगी।

जिसके बाद कार्य रप्तार पकड़ सकेगा परंतु ठेका कंपनी की मौजूदा सुस्त कार्यप्रणाली विभाग द्वारा आरंभ की गई टर्न की प्रणाली की सफलता पर गंभीर प्रश्नचिन्ह है।

भूमि माप पर असमंजस तो ग्रामीणों ने थामा फीता

सेंदवारा बांध निर्माण में अर्जित की गई भूमि की माप को लेकर ग्रामीणों में खासा असमंजस है जिसको लेकर उनके द्वारा शिकायते भी की गई है, बांध के निर्माण साइट पर प्रभावित कृषक स्वयं फीता लेकर नाप-तौल करते मिले। उन्होने बताया कि बांध निर्माण में अधिगृहीत भूमि का अब तक किसी भी कृषका को मुआवजा नही मिला है इसके बाद भी उन्होने ठेकेदार को अपनी भूमि में कार्य की मंजूरी दे दी है।

Dissatisfaction among the villagers due to the inaction of the water resources department and the contracting company

परंतु ठेका कंपनी द्वारा निर्धारित भूमि से अधिक अधिगृहीत की गई है जिससे अब उनकी शेष भूमि का रकबा काफी कम हो गया है। इसलिए वह स्वयं अपनी भूमि की माप कर रहे है।

बम्होरी बांध के निर्माण स्थल को लेकर कृषकों को खासी आपत्ति है उनका कहना है कि चिन्हित भूमि को बदला जा रहा है। इस संबंध में योजना के भूमिपूजन के दौरान भी बांध निर्माण के लिए अर्जित भूमि एवं भूअर्जन कार्रवाई को लेकर ग्रामीणों द्वारा क्षेत्रीय सांसद और केन्द्रीय राज्यमंत्री के समक्ष शिकायते दर्ज कराई गई थी।

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