(बुन्देली डेस्क) समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीदी और में गड़बड़ी के नित नये मामलों का खुलासा सामने आ रहे है, जो संबंधित ऐजेसिंयों की लचर कार्यप्रणाली और सरकारी खरीद व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर रहे है। मूंग की खरीदी और भंडारण में गड़बड़ी से जुड़े नये मामले का खुलासा तब हुआ जब सागर नेफेड के सर्वेयर की उपस्थिति में कान्ट्रेक्टर मूंग के उठाव के लिए देवरी स्थित बेयर हाऊस पहुँचा। मौके पर बोरियों में रखी मूंग की छनाई करने पर उनमें 30 फीसदी से अधिक मिलावट पाई गई जिसके बाद संबंधित ठेकेदार द्वारा मूंग लेने से इंकार कर दिया गया। ठेकेदार का आरोप है कि बेयरहाऊसों में रखी बोरियों में 40 फीसदी से अधिक मिलावट की गई है। मामले को लेकर विभाग के जिम्मेदार सच्चाई पर पर्दा डालने का भरसक प्रयत्न कर रहे है।
क्या है पूरा मामला
दरअसल विगत वर्ष सरकार की अपनी ऐजेंसी द्वारा प्रदेश में सरकारी समर्थन मूल्य पर किसानों से एफएक्यू श्रेणी की मूंग की खरीद समितियों के माध्यम से की गई थी। जिसका भंडारण सरकारी निर्देशों पर बेयरहाऊसो में कराया गया था। बाद में नेफेड एवं मध्यप्रदेश राज्य सहकारी विपणन संघ मार्कफेड द्वारा उक्त भंडारित मूंग विक्रय कान्ट्रेक्टरों को किया गया है। इस प्रक्रिया में विभाग द्वारा ओजस फूड जोन करेली जिला नरसिंहपुर को 200 मीट्रिक टन मूंग की सप्लाई का टैंडर जारी किया गया था। जिसका डिलेवरी आर्डर 6 फरवरी से 16 फरवरी तक वैद्य था।
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उसी को आपूर्ति को लेकर विगत 14 फरवरी को सप्लायर आदर्श राजपूत नेफेड के सर्वेयर के साथ देवरी स्थित संग्रहण केन्द्र एक बेयरहाऊस में पहुँचा था। मूंग की ट्रक में लोडिंग के दौरान उसे उसने संदेह के चलते छल्ली में पीछे की लाईन में रखी गई मूंग की बोरी से एक किलोग्राम से सेंपल निकालकर उसकी छनाई कराई तो उसमें 300 ग्राम से अधिक मात्रा छन्नी के नीचे कचरे के रूप में प्राप्त हुई। जिसके बाद उसने मूंग के उठाव से इंकार कर दिया और ट्रक को वापिस अनलोडकरवा दिया। मामले में उसके द्वारा इसकी शिकायत नेफेड के अधिकारियों से की गई है।
भंडारित मूंग में मिलावट पर विभाग की चुप्पी
सरकारी समर्थन मूल्य खरीदी में किसानों की दहलनी फसलों के लिए एफएक्यू श्रेणी की गुणवत्ता वाली उपज के खरीदी का प्रावधान है। तय सरकारी व्यवस्था में खरीदी से पूर्व सर्वेयर की जांच के उपरांत ही उपज की तौल का प्रावधान है बाद में उसके भंडारण के पूर्व भी उसकी तौल के साथ सर्वेयर द्वारा मानकता की जांच की जाती है। परंतु मौजूदा मामले में ऐजेंसी के अपने सर्वेयर की उपस्थिति में ही वेयरहाऊस में भंडारित मूंग में 30 फीसदी से अधिक मिलावट पाया जाना घोर आश्चर्य में डालने वाला है। मूंग के क्रयकर्ता सप्लायर आदर्श राजपूत का आरोप है कि छनाई में मिट्टी, भूसा, लकड़ी, दागी एवं खराब मूंग पाई गई है जिसकी मात्रा 35 फीसदी से अधिक है।
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मामले में शिकायत के बाद सर्वेयर के साथ पहुँचे सप्लायर द्वारा ने पंचनामा बनाये जाने की मांग की गई तो सर्वेयर द्वारा 18 फीसदी से अधिक गड़बड़ी का पंचनामा बनाने से इंकार किया गया। सप्लायर का आरोप है कि विभाग के अधिकारियों के दबाब के कारण मामले में जांच एवं कार्रवाई नही की जा रही है जिसको लेकर वह भोपाल में नेफेड के बड़े अधिकारियों को शिकायत कर उच्च स्तरीय जांच की मांग करेगा।
शासन को करोड़ों रूपये का चूना लगाने की तैयारी
प्राप्त जानकारी के अनुसार विगत सीजन में समर्थन मूल्य पर शासन द्वारा किसानों से खरीदी गई मूंग की एक बड़ी मात्रा देवरी स्थित 3 बेयर हाऊसों में भंडारित की गई थी। जिसकी खरीदी तौल एवं भंडारण में नियमों के पालन का दावा अधिकारियों द्वारा किया गया था। परंतु इसके बाद भी इतनी बड़ी मात्रा में मिलावट उजागर होना अचरज में डालने वाला है। सप्लायर द्वारा लगाये गये आरोपो एवं सोशल मीडिया पर वायरल वीडियों में यदि सच्चाई है तो इससे शासन एवं क्रयकर्ता सप्लायर को करोड़ों रूपये की चपत लगाने की तैयारी है।
मामले में सवालों से घिरी ऐजेंसी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या खरीद केन्द्रों एवं सर्वेयरों द्वारा नियम विपरीत अमानक मूंग की खरीदी की गई थी। भंडारण से पूर्व सर्वेयर जांच में उसे क्यो रद्ध नही किया गया और यदि भंडार गृहो में गुणवत्ता युक्त मूंग का भंडारण किया गया था तो उसमें मिलावट कैसे संभव हुई।
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इनका कहना है
मामले में शिकायतकर्ता सप्लायर आदर्श राजपूत का कहना है कि वेयर हाउस में भंडारित मूंग में 30 से 35 फीयदी मिलावट है। स्टॉक की एक-दो छल्ली हटाकर अंदर के माल की जांच की जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी। यदि विभाग जांच नही करता तो हमें किसी अन्य वेयर हाउस जहां एफएक्यू मानक की मूंग है वहां से सप्लाई की जाए। इस संबंध में बेयर हाऊस के प्रबंध का कहना है कि हमारे यहां कोई जांच टीम नही आई है, मूंग में किसी तरह की कोई गड़बड़ी नही है।
सरकारी समर्थन मूल्य व्यवस्था पर सवाल लगाने वाले इस मामले में नेफेड के सर्वेयर देवेन्द्र लोधी का कहना है कि मैं जांच करने नहीं गया था। यदि 1 क्विंटल पर 30 किलो मूंग खराब निकल रही है तो बिल्कुल जांच होनी चाहिए। वेयर हाउस में रखी मूंग की जांच कराएंगे।
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