क्या मध्यप्रदेश में सियासी तूफान लायेगा महाकाल लोक कारीडोर हादसा

45 से 55 किमी रप्तार की हवा में खंडित हुई सप्तऋर्षियों की 6 मूर्तिया

Will the Mahakal Lok Corridor incident bring a political storm in Madhya Pradesh?
Will the Mahakal Lok Corridor incident bring a political storm in Madhya Pradesh?

(बुन्देली बाबू डेस्क) मध्यप्रदेश में साल के अंत में संपन्न होने वाले विधानसभा चुनावों की उठापटक के बीच विगत 27 मई को उज्जैन के महाकाल लोक कारीडोर में हुआ हादसा सियासी रंग पकड़ रहा है। मामले को लेकर जहाँ विपक्ष इस मुद्दे को भृष्टाचार और आस्था से खिलवाड़ से जोड़ रहा है तो वही सरकार अब विपक्ष को घेरने की तैयारी में है। प्रदेश की जन आस्था की महाकेन्द्र उज्जैन नगरी का महाकाल लोक क्या प्रदेश की राजनीति में सियासी तूफान लायेगा ?

क्या है पूरा मामला

इरअसल मध्यप्रदेश स्थित बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में विगत 8 माह पूर्व निर्मित महाकाल लोक गलियारे में विगत 27 मई को तेज आंधी के बाद सप्तऋषि की सात मूर्तियों में से छह का क्षतिग्रस्त होने की घटना ने मध्य प्रदेश में सियासी तूफान ला दिया है। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले हुई इस घटना को लेकर हमलावर. कांग्रेस महाकाल लोक के निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है और आस्था के साथ खिलवाड़ का आरोप लगा रही है।

वहीं मामले में बचाव की मुद्रा में आई सरकार और बीजेपी का कहना है कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है, मामले को गर्माते देख अब भाजपा भी कांग्रेस पर श्रेय लेने की राजनीति का आरोप लगाकर पलटवार की तैयारी में है।

8 माह पूर्व प्रधानमंत्री मोदी ने किया था लोकार्पण

हिन्दु धर्म में द्वादश ज्योर्तिलिंगों में प्रचीन काल से लोगो की गहन आस्था है, इन्ही में से एक भगवान महाकाल हैं जो महाकालेश्वर शिवलिंग के रूप में उज्जैन में प्रतिष्ठित है. इस पवित्र नगरी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विगत 11 अक्टूबर 2022 को महाकाल लोक परिसर का लोकार्पण किया था. इस कारीडोर की कुल लागत 856 करोड़ है जिसमें निर्माण के पहले चरण में 351 करोड़ रूपये खर्च किये गये है।

अपने आप में भव्य इस कारीडोर को देखने के लिए देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु उज्जैन पहुँच रहे है। इसके परिसर में वशिष्ठ, विश्वामित्र,कण्व, भारद्वाज, अत्रि, वामदेव और शौनक, यानी सप्तऋषियों की मूर्तियां लगाई गईं है। परंतु 27 मई को चली 45 से 55 किलोमीटर रप्तार की हवाओं ने निर्माण कंपनी और सरकार के तमाम दावों पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया। इस आंधी में 6 मूर्तिया गिरकर क्षतिग्रस्त हो गई जिनकी ऊचांई 10 से 25 फीट बताई जा रही है।


पूरे महाकाल लोक में करीब 136 मूर्तियां लगाई गई हैं. रविवार को 45 से 55 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली तो​ सप्तऋषियों की सात में से छह मूर्तियां पेडस्टल से नीचे गिर गईं.

फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक से निर्मित हुई थी मूर्तिया

महाकाल लोक कारीडोर में पत्थर के पेडिस्टल स्थापित की गई सप्तऋषियों की 10 से 25 फीट ऊंची मूर्तियों को फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक से बनी हैं. एफआरपी से निर्मित सप्त ऋषियों की मूर्तियां 10 फीट ऊंचे स्तंभ पर स्थापित थीं जो रूद्रसागर, त्रिवेणी मण्डपम एवं कमल कुण्ड के बीच हैं. प्रशासन का कहना है कि तेज आंधी और बारिश का एसर यहां ज्यादा था जिसकी वजह से सप्त ऋषियों की मूर्तियों में से 6 मूर्तियां पेडस्टल से अलग होकर नीचे गिर गईं. 10 फीट की ऊंचाई से गिरने के कारण तीन क्विंटल वजन की यह मूर्तियां क्षतिग्रस्त हो गईं.

कांग्रेस इस मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगा रही है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मामले में सात नेताओं की टीम बनाई जिन्होंने उज्जैन में जांच करके सरकार को कठघरे में खड़ा किया.

मामले को लेकर कांग्रेस हमलावर लगाया भृष्टाचार का आरोप

कांग्रेस के अनुसार, उज्जैन में जो मूर्तियां बनी हैं वे 150 जीएसएम के नेट की हैं जबकि कायदे से यह 400 जीएसएम की होती हैं. इनमें तीन लेयर होनी चाहिए, इस वजह से स्ट्रेंथ नहीं आई. फाउंडेशन के लिए आयरन का इस्तेमाल नहीं हुआ.

कांग्रेस नेता सज्जन वर्मा ने कहा कि, श्श्धर्म के क्षेत्र का भ्रष्टाचार हमने अपनी आंखों से देखा. डीपीआर इन्होंने बनाकर दी, वहीं टेंडर हमने जारी कर दिया, ताकि मीन-मेख ना निकालें. 97 करोड़ का टेंडर था. इसका नियम था कुछ बढ़ाना है तो 10 परसेंट बढ़ा सकते हो ऊपर से 97 करोड़ का और दे दिया, 100 परसेंट भ्रष्टाचार का होता है. वर्तमान जज हाईकोर्ट जांच करें.

कांग्रेस से सज्जन सिंह वर्मा ने मोर्चा संभाला तो बीजेपी ने उन पर ही हमला बोल दिया है. नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा,सज्जन सिंह वर्मा जब प्रभारी मंत्री थे तब सारा प्रजेंटेशन हुआ था. प्रोसिडिंग में उनके हस्ताक्षर हैं. चीफ सेक्रेट्री ने, जो हमने टेंडर तैयार किया था, उसकी प्रशंसा की थी. तो आज क्या हो गया. अब खंडित नहीं, नई मूर्ति लगेंगी, माननीय मुख्यमंत्री के निर्देश हैं.

दोनो पार्टियों के कार्यकाल से रहा निर्माण का वास्ता

मामले को लेकर कांग्रेस-बीजेपी आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हैं, विधानसभा चुनावों को लेकर दोनो एक दूसरे पर हमलावर भी है। परंतु एक तथ्य यह भी है कि इसके निर्माण का संबंध भाजपा की शिवराज सरकार और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार दोनो से रहा है। दरअसल इस काम के लिए टेंडर 4 सितम्बर 2018 को जारी हुआ, जब बीजेपी की सरकार थी. स्वीकृति उज्जैन स्मार्ट सिटी ने 7 जनवरी 2019 को दी, जब कांग्रेस सत्ता में आ गई थी. एलओए (लेटर ऑफ एग्रीमेंट) 25 फरवरी 2019 को मिला, वर्कऑर्डर 7 मार्च 2019 को जारी हुआ. स्कोप ऑफ वर्क में 9 फीट, 10 फीट, 11 फीट एवं 15 फीट ऊंचाई की लगभग 100 एफआरपी की मूर्तियां शामिल थीं. लागत 7 करोड़ 75 लाख रुपये का प्रावधान था.

मूर्तियों की सामग्री की आपूर्ति का भुगतान 13 जनवरी 2020 को, डिजाइनिंग, नक्काशी का भुगतान 28 फरवरी 2020 को और मूर्ति स्थापना के काम का भुगतान 31 मार्च 2021 को किया गया था. सीपेट ने 12 फरवरी 2022 को रिपोर्ट दी, जिसमें एफआरपी सामग्री को मानकों के मुताबिक बताया. आईपीई ग्लोबल ने काम का मूल्यांकन, सत्यापन और पर्यवेक्षण किया. डीएलपी यानी (डिफेक्ट लायबिलिटी पीरियड) में होने की वजह से ठेकेदार मूर्तियां फिर से स्थापित करेगा.

जब महाकाल लोक बना तो बीजेपी ने इसे अपनी उपलब्धि बताया, कांग्रेस ने अपनी. जब मूर्तियां खंडित हुईं तो बीजेपी कांग्रेस का, कांग्रेस बीजेपी का निर्माण बता रही है. जनता कन्फ्यूज है.

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