(बुन्देली डेस्क) दमोह के चर्चित गंगा-जमुना स्कूल मामले को लेकर उठा शोर अब भी थमने का नाम नही ले रहा है, स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल की मान्यता रद्ध होने के बाद भी आये दिन नये विवाद सामने आ रहे है। ताजा मामला मंगलवार दोपहर का है जब जिले शिक्षा अधिकारी की गाड़ी रोककर उनके उनके चेहरे पर स्याही फेंकी गई और बाद में उनका चेहरा पोतकर जय श्रीराम के नारे भी लगाये गये।
मामले के कर्ताधर्ताओं द्वारा बकायदा सामने आकर प्रेस को दिये बयान में संबंधित स्कूल की जांच मामले में जिला शिक्षा अधिकारी की भूमिका पर नाराजगी जाहिर कर गंभीर आरोप भी लगाये गये है। वही घटना को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा मामले को किसी ठेका टेंडर के विवाद से जोड़कर बताये जाने की खबर प्राप्त हुई है।
आफिस से लौट रहे जिला शिक्षा अधिकारी पर फेंकी स्याही
मंगलवार दोपहर दमोह जिले के जिला शिक्षा अधिकारी जब अपनी गाड़ी में बैठकर कार्यालय से बाहर निकल रहे थे उसी दौरान गेट पर खड़े लोगो द्वारा उन्हे रोका गया। जब गाड़ी रूकी तो उनके पास आये एक शख्स ने उनके चेहरे पर स्याही फेंक दी और फिर उनका चेहरे पर पोती गई बाद में वहाँ मौजूद लोगों द्वारा जयश्रीराम के नारे भी लगाये गये।
घटना के बाद मामले में सामने आये दमोह के बीजेपी जिला उपाध्यक्ष अमित बजाज एवं हिंदूवादी संगठन के कुछ नेताओं द्वारा बताया गया कि जब पहली बार गंगा जमुना स्कूल का विवाद सामने आया था, उस समय जिला शिक्षा अधिकारी ने विद्यालय को क्लीन चिट दे दी थी जिससे वह नाराज थे। उनका आरोप है कि उनके ऊपर आर्थिक अनियमितता के भी आरोप लगे हैं, जिसके चलते जिला शिक्षा अधिकारी का मुंह काला किया गया है।
अधिकारी ने घटना को बताया ठेका टेंडर से जुड़ा विवाद
गंगा जमुना स्कूल के विवाद में अपनी जांच रिर्पोट के कारण विवादों से घिरे जिला शिक्षा अधिकारी एसके मिश्रा ने घटना को नये मामले से जोड़कर बताया। मीडिया खबरों के मुताबिक उनका कहना है कि उनका किसी से कोई विवाद नहीं है, जिन लोगों ने उनके ऊपर स्याही फेंकी है, इनमें से दो लोगों को वो चेहरे से जानते हैं।
दरअसल, उन लोगों ने कुछ समय पहले टेंडर लिए थे, जिसके बिल पास नहीं होने की वजह से पैसा लेप्स हो गया. इसी के चलते उन पर द्वेषता पूर्ण रवैया अपनाते हुए स्याही फेंकी गई. जिला शिक्षा अधिकारी ने यह भी कहा कि गंगा जमुना स्कूल से संबंधित कोई भी शिकायत या फाइल उनके पास नहीं है न ही उनके द्वारा कोई जांच की जा रही है।
यू ही नही उठ रहा शोर कई सवालों से घिरा है मामला
दरअसल दमोह के फुटेरा वार्ड क्रमांक 04 में संचालित होने वाले स्कूल गंगा-जमुना स्कूल का विवाद सिर्फ एक टॉपर पोस्टर से जुड़ा हुआ नही है। बल्कि इस स्कूल की कई गतिविधियों को लेकर यह हिन्दुवादी संगठनों के निशाने पर रहा है। स्कूल के टॉपर पोस्टर में स्कूली छात्राओं को हिजाब जैसे दिखने वाली पोशाक में दिखाया जाना महज संयोग माना जाना संभव नही है क्योकि स्कूल में अल्लामा इकबाल की कविता का नियमित गायन एवं धर्म विशेष की तहजीब का प्रसार मामले को पेचीदा बनाते है।
स्कूल के तौर तरीके और स्कूल की 3 शिक्षिकाओं द्वारा विवाह उपरांत धर्मान्तरण किये जाने के आरोप भी कई सवालों को जन्म देते है। मामले को लेकर स्कूल की शिक्षिकाओं द्वारा अधिकारियों के समक्ष बकायदा अपने मूल दस्तावेज दिखाते हुए स्वयं को बालिग बताकर प्रेम विवाह कर अपनी स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किये जाने की बात स्वीकार की गई है। परंतु हिन्दुवादी संगठनों द्वारा संबंधित संस्था पर शिक्षा की आड़ में चलाये जा रहे गुप्त ऐजेंडे की बात अब भी जोर पकड़ रही है।
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