विपिन शर्मा (बुन्देली बाबू) नौरादेही अभ्यारण में बाघों के कुनबे को शून्य के फर्श से उपलब्धियों के अर्श पर पहुँचाने वाले बाघ एन-2 किशन की संधर्ष में घायल होने के बाद मौत हो गई। उसे अभ्यारण अमले द्वारा शनिवार सुबह पेट्रोलिंग के दौरान मृत पाया गया है।
विगत 10 दिन पूर्व उसका संघर्ष एक अन्य बाहरी बाघ से होने की बात विभाग द्वारा की जा रही है जिसमें उसके घायल होने के बाद विगत बुधवार से उसका उपचार कराया जा रहा था, अब उसकी मौत के बाद कारण ज्ञात करने के लिए अभ्यारण प्रशासन द्वारा बाघ के शव का पोस्टमार्टम कराया गया है।
घटना के बाद अभ्यारण में बाघों के उपचार के लिए वन्य प्राणि चिकित्सक के आभाव एवं सतत निगरानी एवं चिकित्सकीय व्यवस्था के आभाव की बात सामने आई है जो टाइगर रिजर्व बनने के मुकाम पर पहुँच चुके नौरादेही अभ्यारण के लिए किसी झटके से कम नही है। मृत किशन के शव के पोस्टमार्टम के लिए जबलपुर एवं पन्ना से पशु चिकित्सा विशेषज्ञों की टीम बुलाये जाने की जानकारी प्राप्त हुई है। जिसके बाद उसके मृत्यु के कारण सामने आ सकेंगे।
10 दिन पूर्व हुई थी बाघों में टेरीटोरियल फाइट
अभ्यारण प्रशासन के अनुसार बाघ किशन का संघर्ष एक अन्य बाहरी बाघ एन-3 से विगत 10 दिन पूर्व संघर्ष हुआ था जिसमें उसकी आंख एवं जबड़े में घाव हो गये थे। जिसके चलते उसके उपचार करने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व से चिकित्सक बुलाये गये थे जो उसका उपचार कर रहे थे परंतु शनिवार सुबह पेट्रोलिंग के दौरान बमनेर नदी खेरवा घाट पर उसका शव मिला था नौरादेही अभ्यारण प्रशासन द्वारा अब उसकी मौत के कारण जानने के लिए पोस्टमार्टम कराया है।
2018 में किशन बाघ को नौरादेही में लाये जाने के बाद यह पहला अवसर है जब उसकी किसी अन्य बाघ के साथ भिडंत हुई है। नौरादेही अभ्यारण में एक अन्य बाहरी बाघ की उपस्थिति की पुष्टि प्रशासन द्वारा कई बार की गई थी।
नौरादेही को टाइगर रिजर्व तक पहुँचाने में किशन की बड़ी भूमिका
नौरादेही अभ्यारण में यूं तो बाधों को बसाने की मुहिम लंबे समय से चल रही है परंतु बाघ की दहाड़ से रिक्त हो चुके अभ्यारण को टाइगर रिजर्व के तमगे तक पहुँचाने में बाघ किशन एवं बाधिन राधा की भूमिका अहम रही। दरअसल दरअसल नौरादेही अभ्यारण में बाघों को बसाने की मुहिम तो लगभग 1 दशक से भी पुरानी है, परंतु 30 अप्रैल 2018 में इसे मूर्त रूप देने के लिए राष्ट्रीय बाघ परियोजना अंतर्गत कान्हा किसली से बाघिन राधा एन-1 एवं बांधव गढ़ से बाघ किशन एन-2 को लाकर नौरादेही अभ्यारण में छोड़ा गया था।
शुरूआती समस्याओं के बाद इस बाघ जोड़े ने अपने कुनबे का विस्तार किया और इस दौरान राधा ने किशन के साथ वर्ष 2019 एवं 2021 में 2 बार में 8 बच्चों को जन्म दिया जो अब वयस्क होकर उस कुनबे का विस्तार कर रहे है। अभ्यारण में राधा किशन के परिवार और बाहरी बाघ के साथ बाघों की संख्या बढ़कर 16 हो चुकी थी परंतु किशन की मौत के बाद यह आंकड़ा घटकर 15 हो गया है।
क्या बाघ के उपचार में की गई अनदेखी ?
नौरादेही अभ्यारण को टाइगर रिजर्व तमगा मिलने के बाद उसे इस शिखर तक पहुँचाने वाले बाघ की मौत ने अभ्यारण की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिये है, 10 दिन पूर्व अन्य बाघ के संघर्ष में घायल हुए किशन को समुचित उपचार दिये जाने के दावों पर सवाल खड़े किये जा रहे है। विभाग के अधिकारी अब इस संघर्ष को 10 दिन पुरानी घटना बता रहे है परंतु उसके उपचार में बिलंब सहित वन्य प्राणि चिकित्सा विशेषज्ञ की अनुपलब्धता पर चुप्पी साधे हुए है।
घायल बाघ के समुचित उपचार एवं उसकी सतत निगरानी के मामले में भी अभ्यारण प्रशासन की अव्यवस्था कई सवाल खड़े कर रही है। यह पहला मामला नही है इससे पूर्व भी अभ्यारण में वर्ष 2019 में बाघों सुरक्षा एवं वनों की निगरानी के लिए लगाये गये बैल्जियम शैफर्ड डॉंग टाइसन की मौत एवं 2 अगस्त 2020 को बाघों की निगरानी के लिए लगाये गये हाथी वनराज की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। इसके बाद भी अभ्यारण में वन्य प्राणियों की सुरक्षा व्यवस्था सिर्फ स्थानीय पशु चिकित्सकों के भरोसे की जा रही है, जो विभागीय निर्देशों के विपरीत है।
कही प्रभावित न हो जाए टाइगर रिजर्व की मुहिम
नौरादेही अभयारण्य में वन्य प्राणियों के संरक्षण एवं संवर्धन की असीमित संभावनाओं के चलते इसमें बाघों की वंश वृद्धि और सुरक्षित आवास मानकर इसे राष्ट्रीय वन्य प्राणि बोर्ड द्वारा टाइगर रिजर्व में शामिल कर लिया गया है जो प्रदेश का सातवा टाइगर रिजर्व बनाया जा रहा है।
राज्य सरकार एवं विभाग द्वारा नौरादेही को वीरांगना रानी दुर्गावती अभ्यारण के साथ जोड़कर टाइगर रिजर्व की कोर बनाये जाने की योजना है जो प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व बन जायेगा। परंतु इस दौरान सामने आई बाघ किशन की मौत एवं अभ्यारण में वन्य प्राणियों की चिकित्सा के लिए वन्य प्राणि चिकित्सक की अनुपलब्धता एवं चिकित्सा साधनों का आभाव स्थिति को गंभीर बना रहा है। ऐसे में अभ्यारण को मिला टाइगर रिजर्व का तमगा कही खटाई में न पड़ जाये।
Leave a Reply