रैपुरा मामले के दिग्विजय के धरने के बाद झुका जिला प्रशासन मांगे मानी

जमीन पर बैठकर हुई सहमति, लिखित आश्वासन के बाद खत्म हुआ धरना

After Digvijay's dharna in Rapura case, the district administration agreed to the demands
After Digvijay's dharna in Rapura case, the district administration agreed to the demands

(बुन्देली बाबू डेस्क ) सागर जिले के रैपुरा ग्राम में वन विभाग द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में 10 ग्रामीणों के आवास तोड़े के विरोध में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने रैपुरा गांव पहुँचकर पीड़ित परिवारों के साथ जमीन पर बैठकर धरना दिया। जिसके बाद पहुँचे जिला प्रशासन के अधिकारियों ने उनसे जमीन पर बैठकर बात की एवं लिखित आश्वासन के बाद धरना समाप्त कराया।

चर्चा के बाद जिन मांगो पर सहमति बन बनी है उनमें पीड़ित परिवारों को नुकसानी राहत राशि, वैकल्पिक आवास व्यवस्था, राशन उपलब्ध कराये जाने, आवासीय पट्टा दिये जाने एवं मकान निर्माण सहित जिम्मेदारों के विरूद्ध जांच एवं कार्रवाई शामिल है।

सागर जिले में सुरखी के रैपुरा गांव में वन विभाग द्वारा 10 दलित परिवारों के मकान गिराए जाने का मामला गुरूवार को चर्चाओं मे रहा, विगत बुधवार को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा प्रदेश सरकार के मंत्री गोविंद सिंह को इस कार्रवाई के लिए जिम्मेदार बताया गया था।

गुरूवार दोपहर वह रैपुरा गांव पहुँचे और पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर उनके साथ विभिन्न मांगो के समर्थन में धरने पर बैठ गये। पीड़ितों को न्याय और दोषियों पर कार्रवाई को लेकर अड़े दिग्विजय सिंह ने न्याय मिलने तक हटने से इंकार कर दिया उन्होने कहा कि वह गुरूवार रात्रि उसी ग्राम में रूककर आंदोलन करेंगे।

मामले को लेकर जिला प्रशासन के अधिकारी कलेक्टर दीपक आर्य, एसपी अभिषेक तिवारी और डीफओ महेंद्र प्रताप सिंह जब उनसे मिलने पहुँचे तो दिग्विजय सिंह ने उन्हें भी अपने साथ जमीन पर ही बैठा लिया और अपनी मांगो से बिन्दुवार अवगत कराया और स्पष्ट किया कि वह लिखित आश्वासन के बिना पीछे नही हटेंगे।

पूर्व मुख्यमंत्री के सख्त रूख के बाद जिला कलेक्टर और डीएफओ ने उनकी मांगें मानने का लिखित में आश्वासन दिया है और इसके बाद दिग्विजय सिंह ने अपना धरना खत्म किया।

इन मांगो पर हुई सहमति

रैपुरा गांव में धरना स्थल पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ जमीन बैठकर मामले में विस्तार से चर्चा की एवं अपना पक्ष स्पष्ट कर दिया। जिसके बाद जिला प्रशासन द्वारा जिन मांगो पर सहमति प्रदान की गई है उसमें जिनके मकान टूटे हैं उनके जानमाल के नुकसान की भरपाई हेतु राहत राशि उपलब्ध कराये जाने, पीड़ितों को आवासीय पट्टा प्रदाय किये जाने, भवन निर्माण के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना से राशि मुहैया कराये जाने। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पीड़ितों के रहने के लिए अस्थायी इंतजाम करने। पीड़ित परिवारों के सदस्यों के लिए भोजन पानी की व्यवस्था करने संबंधी मांगो के संबंध में जिला प्रशासन द्वारा लिखित आश्वासन दिया गया है।

जांच के बाद होगी जिम्मेदार पर कार्रवाई

रैपुरा गांव में वन विभाग द्वारा की कई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में 10 आवास क्षतिग्रस्त किये गये थे जिसमें से 6 आवासों का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना के समतुल्य कराये जाने की बात सामने आई है। उक्त मामले में पीड़ित परिवारों के समर्थन में आये पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंही द्वारा मांग की गई थी, कार्रवाई के जिम्मेदार अधिकारी के विरूद्ध अनुसूचित जाति जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत एफआईआर दर्ज कराई जाये।

उक्त संबंध में जिला प्रशासन द्वारा मामले में आवेदन प्राप्त होने के बाद जांच व विवेचना अनुसार नियमानुसार कार्रवाई करने का आश्वासन दिया गया है पीड़ित परिवारों द्वारा इस बर्बर कार्रवाई के लिए रेंजर लखन सिंह को जिम्मेदार बताया गया है।

वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी ट्वीट करते हुए कहा था कि ‘सागर जिले के सुरखी में जिस तरह से शिवराज

सरकार ने दलित समुदाय के लोगों के घरों पर बुलडोजर चलाया है, उससे स्पष्ट है कि यह सरकार निरंकुश होने के साथ ही अन्यायी, अत्याचारी और अमानुषिक हो गई है। कांग्रेस पार्टी इस संकट की घड़ी में पीड़ित परिवारों साथ हैं और उन्हें हर कीमत पर न्याय दिलाकर रहेगी।’

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