(बुन्देली बाबू सागर) हिन्दु धर्म की प्रचलित मान्यताओं में पुत्र के द्वारा माता पिता की मृत्यु के बाद आत्मशांति हेतु मुखाग्नि देने की परंपरा है। परंतु पुत्र न होने पर बेटिया भी अपने पिता के उद्धार के लिए धार्मिक मान्यताओं का निर्वाहन कर सकती है। सागर में एक सेवानिवृत एसएसआई के ब्रेन हेमरेज के चलते निधन के बाद उनकी 9 बेटियों ने उनकी अर्थी को कंघा दिया एवं मुखाग्नि देकर पुत्र की भांति अंतिम संस्कार के समस्त रिवाजों का निर्वाहन कर अपने पिता की आत्मशांति की प्रार्थना की। शमशान में 9 बेटियों को ऐसा करते देख सभी विस्मृत थे पिता के प्रति प्रेम एवं सम्मान देखकर लोग व्याकुल हो गये।
पुलिस की नौकरी से सेवानिवृत्त एक एएसआई के निधन के बाद उनकी बेटियों ने बेटे की तरह अपना फर्ज निभाया। अंतिम संस्कार में 9 बेटियों ने एक साथ उन्हें हिन्दू रीति-रिवाज से मुखाग्नि दी है। दरअसल मृतक की नौ बेटियां ही थी, उनको कोई बेटा नहीं था। पिता ने सभी बेटियों की परवरिश बेटों के समान ही की थी। जानकारी अनुसार मप्र के सागर जिले के मकरोनिया के वार्ड क्रमांक 17 महात्मा गांधीवार्ड निवासी व दसवीं बटालियन से रिटायर्ड एएसआई हरिश्चंद्र अहिरवार ब्रेन हेमरेज से पीड़ित थे। सोमवार सुबह उनका निधन हो गया था। उनका कोई पुत्र नहीं था, केवल 9 बेटियां थीं। बेटियों में भी 7 का विवाह हो चुका था। सोमवार को सभी बेटियां ने अपने पिता का खुद अंतिम संस्कार करने का फैसला किया।
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दोपहर में जब हरिश्चंद्र की अर्थी घर से निकली तो सभी बेटियों ने उनको कंधा दिया। यह दृश्य जिसने भी देखा, उनकी आंखे नम हो गईं। बड़ी संख्या में लोग अंतिम यात्रा में शामिल हुए थे, सभी ने नम आंखों से हरिश्चंद्र को विदाई दी। मकरोनिया मुक्तिधाम में बेटियों ने अपने पिता को हिंदू रीति रिवाज से मुखाग्नि दी और अंतिम संस्कार की सारी विधि को पूरा किया।
बेटी वंदना ने बताया कि उनके पिता को अपनी बेटियों से काफी लगाव था। हमारा कोई भाई नहीं है, इस कारण उनके साथ सभी छोटीकृबड़ी बहनों जिनमें अनिता, तारा, जयश्री, कल्पनना, रिंकी, गुड़िया, रोशनी, दुर्गा ने एक साथ बेटी होने का फर्ज निभाने का फैसला किया था। उनके पिता ही उनका संसार थे।
7 बेटियों की हुई शादी
बेटियों ने अपने पिता को कंधा दिया और अंतिम संस्कार किया। इस दौरान समाज के लोगों ने गर्व से कहा कि पुत्र ही सब कुछ नही होते। उनकी 7 बेटियों की शादी हो चुकी है जबकि 2 बेटियां कुंवारी है। बेटी वंदना ने बताया कि उनके पिता को अपनी बेटियों से काफी लगाव था। हमारा कोई भाई नहीं है, इस कारण उनके साथ सभी छोटी-बड़ी बहनों (अनीता, तारा, जयश्री, कल्पना, रिंकी, गुड़िया, रोशनी और दुर्गा) ने एक साथ बेटी होने का फर्ज निभाने का फैसला लिया है।
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