कर्क रेखा पर विराजित है बरकोटी के 6 सदी पुराने मतंगेश्वर महादेव

मकर संक्रान्ति पर होता है विशाल मेले का आयोजन, पहुँचते है हजारों श्रद्धालु

6 century old Matangeshwar Mahadev of Barkoti is situated on the Tropic of Cancer.
6 century old Matangeshwar Mahadev of Barkoti is situated on the Tropic of Cancer.

(देवरीकलाँ)

बुंदेलखंड क्षेत्र के सागर जिले में स्थित प्राचीन ग्राम बरकोटी में भगवान मंतगेश्वर महादेव का 600 वर्ष पुराना मंदिर है। जिसके गर्भगृह में विशाल शिव लिंग को कर्क रेखा पर स्थापित किया गया है। इसके संबंध में कई जन श्रुतिया प्रचलित है। जो कर्क रेखा पर अवस्थित दुर्लभ शिवलिंग है इसे स्वयं प्रगट या स्वयं भू शिवलिंग भी कहा जाता है। जिले के देवरी विकासखण्ड में राष्ट्रीय राजमार्ग 44 से 2 किलोमीटर दूर स्थित भगवान भोलेनाथ के इस सुंदर धाम में पूजन करने से जीवन की समस्त बाधायें दूर होती है।

ऐसी मान्यता है कि कर्क रेखा पर स्थापित यह शिवलिंग भक्तों के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर प्रकाश से भर देता है।मकर संक्रान्ति पर्व पर इस स्थान पर साप्ताहिक मेले के आयोजन सैकड़ों वर्षो से किया जा रहा है। शिवरात्रि पर्व पर मंदिर
में शिव विवाह का आयोजन किया जाता है जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते है।

देवरी विकासखण्ड के बरकोटी ग्राम में सैकड़ो वर्ष प्राचीन मतंगेश्वर महादेव मंदिर क्षेत्र के श्रृद्धालुओ के लिए आस्था का प्रमुख केन्द्र है। मंदिर के गर्भगृह में कर्क रेखा पर स्थापित मतंगेश्वर महादेव का प्राचीन शिवलिंग है। लगभग 5 फीट ऊँचे एवं लगभग 15 फीट व्यास वाले विशालकाय पाषाण शिवलिंग का उल्लेख सागर से निकले गजेटियर एवं ऐतिहासिक दस्तावेजो में भी मिलता है। मतंगेश्वर मंदिर के गर्भगृह में शिव लिंग के समीप माता पार्वती एवं बाहर नंदी विराजमान है इस प्राचीन मंदिर से सटा हुआ एक प्राचीन तालाब है जिसमें ग्रीष्मकाल में भी पानी जमा रहता है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन समय में यह स्थान काल एवं ज्योतिष गणना का केन्द्र रहा होगा, परंतु समय के बदलाव एवं उपेक्षा के कारण यह गुमनामी में खो गया।

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स्वयं प्रगट हुआ था शिवलिंग, लिया विशाल आकार
सैकड़ो वर्ष पूर्व स्थापित इस शिवलिंग के संबंध में मान्यता है कि पूर्व में यह प्राकृतिक तालाब के किनारे झाड़ियों में प्रगट हुआ था। लोगो के संज्ञान में आने के बाद लोग इस स्थान पर आराधना करने लगे। श्रद्धालुओं ने पाया कि इस शिवलिंग आकार लगातार बढ़ रहा था। जिसे रोकने के लिए विद्धानों को बुलाकर विशेष पूजन कर प्रार्थना की गई थी जिसके बाद इसका आकार स्थिर हो गया। बाद में यहा मंदिर का निर्माण हुआ और सैकड़ों वर्षो से यह महादेव के भक्तों के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है। लगभग 600 वर्ष प्राचीन इस स्थान के धार्मिक एवं पुरा महत्व होने के बाद भी इसे शासन एवं संबंधित विभाग से कोई संरक्षण एवं अनुदान प्राप्त नही हो सका है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा मिले थोड़े बहुत अनुदान से यहाँ आधा अधूरा कार्य करवाया गया है। मंदिर के समीप स्थित प्राचीन तालाब भी संरक्षण के आभाव में अपना ऐतिहासिक वजूद खो रहा है। इसे पर्यटन विभाग के पर्यटक स्थलों सूची में शामिल किये जाने संबंधी मांग कई बार की गई है। परंतु कोई सकारात्मक परिणाम सामने नही आया है।

कर्क रेखा पर अवस्थित दुर्लभ शिवलिंग
जानकारों अनुसार बरकोटी में स्वयं प्रगट भगवान मतंगेश्वर महादेव का कर्करेखा पर विराजित है, भूविदों के मुताबिक पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में 23. 5 डिग्री 30 मिनट (23°30’) होकर कर्क रेखा गुजरती है। बरकोटी का प्राचीन मंदिर उसी रेखा पर अवस्थित है। देश में उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के अतिरिक्त गिने चुने मंदिर है जो कर्क रेखा पर स्थापित प्राचीन शिव मंदिर है जिनमें से एक बरकोटी का मंतगेश्वर महादेव मंदिर है। ज्योतिष एवं कालगणना के लिए यह स्थान उपयुक्त माना जाता है। धर्म और ज्योतिष के विद्धानों के अनुसार कर्क रेखा पर सूर्य की किरणे लंबवत होती है जिसके कारण इन स्थानों से राशियों की स्थिति की स्पष्ट जानकारी एवं काल गणना सटीक ढंग से की जा सकती है।

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मकर संक्रांति पर्व पर लगता है विशाल मेला
प्रचीन काल से इस मंदिर परिसर में मकर संक्राति, चैत्र नवरात्रि एवं शिवरात्रि पर्व पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें आसपास एवं दूर दराज से आने वाले हजारो श्रद्धालु भाग लेते है। मकर संक्रान्ति पर्व पर आयोजित मेले का उल्लेख ऐतिहासिक दस्तावेजों में भी मिलता है। यह मेला पूर्व में सागर जिले प्रमुख मेलों में शामिल था जिसमें दूर दूर के व्यापारी आते थे। परंतु समय के साथ आसपास भूमि के आभाव सहित स्थानीय समस्याओं के चलते उक्त मेला अब सुकुड़ कर छोटे से भूभाग पर आयोजित किया जा रहा है। मंदिर के पुजारी पं. वृन्दावन तिवारी ने बताया कि प्रतिवर्ष फाल्गुन कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को मनाये जाने वाले शिवरात्रि पर्व का क्षेत्र के शिव भक्तो के लिए बड़ महत्व है।

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इस दिन मंदिर परिसर में उत्सव एवं धार्मिक अनुष्ठानो का आयोजन किया जाता है जिसमें दूर दूर से आने वाले श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। पंडित नीरज गोस्वामी ने बताया कि महाशिवरात्रि पर्व पर सुबह ब्रम्ह महूर्त में मंदिर के गर्भगृह में रूद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है जिसके बाद शिव भक्त अपनी मनोकामनाओ को लेकर शिव लिंग पर अक्षत एवं हल्दी समर्पित कर व्रत धारण करते है। शिवरात्रि पर्व पर मंदिर में दिन भर विभिन्न अनुष्ठानो का आयोजन होता है। शाम को मंदिर के परिसर से होकर भगवान मंगतेश्वर की विशाल बारात निकाली जाती है जिसमें शिव गण एवं हजारो श्रृद्धालु बरकोटी ग्राम में भ्रमण के उपरांत मंदिर परिसर में पहुँचते है। जहाँ भगवान शिव एवं माता पार्वती के भव्य विवाह का आयोजन किया जाता है।

कैसे पहुँचे मंतगेश्वर महादेव मंदिर
बरकोटी राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर सागर से नरसिंहपुर सड़क पर स्थित बरकोटी तिराहे से सिर्फ 2 किलोमीटर पक्की सड़क पर स्थित है। यात्री बस द्वारा बरकोटी तिराहे से यहाँ आसानी से पहुँचा जा सकता है। ट्रेन रूट के लिए सबसे नजदीकी स्टेशन सागर है जो यहाँ से लगभग 40 किलोमीटर दूर है।

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