(बुन्देली डेस्क) लोकसभा चुनाव के पहले मध्यप्रदेश में कांग्रेस में फिर एक बार फूट की स्थिति निर्मित हो रही है, हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी की करारी हार के बाद महाकौशल क्षेत्र के दिग्गज नेताओं ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। पार्टी के दिग्गज और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पार्टी छोड़ने की अफवाहों के बीच पार्टी में फूट को कई चश्मों से देखा जा रहा है।
उठा पटक और सियासी हितों के भवंर में फंसी प्रदेश कांग्रेस एक बार फिर बिखराव की कगार पर है, लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी में चल रहे संगठनात्मक ढांचे में सुधार प्रयासों के बीच पार्टी में एक बार फिर फूट नजर आ रही है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के पार्टी छोड़ने की अटकले लंबे समय से जारी है जिसका उनके द्वारा खंडन किये जाने के बाद चर्चाओं का बाजार अब भी गर्म है। विगत दिवस उनके समर्थकों द्वारा भाजपा का दामन थामे जाने के बाद फिर अफवाहों को हवा मिली है।
कांग्रेस में फिर चलचली की बेला
वैचारिक मूल्यों को लेकर देश की सबसे समृद्ध पार्टी कांग्रेस विगत वर्षो में पूरे देश में अपनी सिकुड़ते राजनैतिक साम्राज्य को लेकर संकट सागर में गोते लगा रही है। मध्यप्रदेश में पार्टी की आफसी फूट के बाद अपनी सरकार गवां चुकी कांग्रेस पर एक बार फिर बिखराव के बादल मंडरा रहे है। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले कांग्रेस के दिग्गज एक के बाद एक पार्टी से विदा लेकर भाजपा का झंडा थाम रहे है। पार्टी में एक बार फिर निर्मित हुई चला चली की बेला पार्टी को उन क्षेत्रों में कमजोर बना रही है जहां पार्टी की संभावनायें बनी हुई थी।
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आगामी चुनाव में कांग्रेस के लिए अहम साबित होने वाले प्रदेश के महाकौशल अंचल में पार्टी में बड़ी हुई है जबलपुर नगर निगम महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू, डिंडोरी जिला पंचायत अध्यक्ष रूद्रेश परस्ते, उपाध्यक्ष अंजू जितेन्द्र ब्यौहार डिंडोरी के पूर्व कांग्रेस जिला अध्यक्ष वीरेंद्र बिहारी शुक्ला, सिंगरौली जिला पंचायत उपाध्यक्ष अर्चना सिंह, जिला पंचायत सदस्य, पार्षद, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष, जनपद सदस्य, पूर्व जनपद सदस्य, यूथ कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष, ब्लाक प्रभारी सहित करीब 50 कांग्रेस नेताओं ने पार्टी को अलविदा कह भाजपा का दामन थाम लिया था।
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इसके दूसरे दिन ही पार्टी को एक बार फिर बड़े झटके का सामना करना पड़ा मप्र के पूर्व महाधिवक्ता और वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशांक शेखर ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। वरिष्ठ अधिवक्ता शशांक शेखर लंबे समय से वकालत में हैं। वे मप्र कांग्रेस लीगल सेल के भी प्रमुख थे। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा सदस्य विवेक कृष्ण तन्खा के सबसे नजदीकियों में अन्नू के साथ उनका भी नाम शुमार है। वे पूर्व में हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जबलपुर के सचिव भी निर्वाचित हो चुके हैं। कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने पर तन्खा की अनुशंसा पर उन्हें महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था।
कमलनाथ को लेकर अफवाहों का बाजार गर्म
प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं पार्टी के वरिष्ठ नेता कमलनाथ के पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने को लेकर संस्पेंस अब भी बरकरार है। वैसे इस मामले में वह मीडया के सामने ऐसी अटकलों को सिरे से खारिज कर अपने पुत्र के छिंदवाड़ा से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ाये जाने का ऐलान कर चुके है। इसके बाद भी उनको लेकर मीडिया में अफवाहो का बाजार गर्म बना हुआ है। मीडिया द्वारा विगत लंबे समय से इस बात को हवा दे रही है आगामी लोकसभा चुनाव में कमलनाथ अपने समर्थको के साथ भाजपा का दामन थाम सकते है। सोशल मीडिया में उड़ रही अफवाहों में यह दावा किया गया है कि उनके लगभग एक दर्जन समर्थक लोकसभा सीटो पर भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ेगे वही कांग्रेस नेता ऐसे दावों को निराधार बताकर खंडन कर रही है।
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शशांक शेखर ने साफ किया कि उनकी सनातन मूल्यों में गहरी आस्था है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के आमंत्रण की कांगेस के शीर्ष नेतृत्व द्वारा उपेक्षा से उन्हें गहरा दुख हुआ। तभी से पार्टी छोड़ने का मन बना लिया था। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त नेतृत्व में भारत ने देश-दुनिया मे जो प्रतिमान दर्ज किए और विकसित भारत की दिशा में जारी ठोस प्रयासों ने भी भाजपा के प्रति आकर्षण बढ़ाया।
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