सागर संसदीय क्षेत्र में वोटिंग से 2 दिन पहले इकलौती कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे भाजपा में शामिल

भाजपा-कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी का खेल या मोहन सरकार का भरोसा

Two days before voting in Sagar parliamentary constituency, the only MLA Nirmala Sapre joined BJP
Two days before voting in Sagar parliamentary constituency, the only MLA Nirmala Sapre joined BJP

(बुन्देली बाबू) सागर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस की इकलौती विधायक निर्मला सप्रे ने राहतगढ़ में आयोजित मुख्यमंत्री मोहन यादव की सभा के दौरान कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन दामन थाम लिया। संसदीय क्षेत्र की कुल 8 सीटों में से 7 में भाजपा काबिज है निर्मला सप्रे कांग्रेस की इकलौती विधायक थी उनके अचानक पार्टी छोड़ने के गोपनीय फैसले को लेकर कई प्रकार चर्चाये की जा रही है। वैसे उनके द्वारा हाल ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी द्वारा दिये गये विवादित बयान को महिलाओं के प्रति असम्मान बताकर पार्टी छोड़ने की बात की जा रही है। परंतु लोग इसे कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी और आपरेशन कमल से जोड़कर देख रहे है।

सागर जिले की बीना विधानसभा से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे ने विगत विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी तथा दो बार की विधायक महेश राय को 6000 से अधिक मतों से पराजित किया था। जिले की आठ विधानसभा सीटों में से एकमात्र बिना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस का प्रत्याशी निर्वाचित हुआ था। परंतु निर्वाचन के बाद पार्टी फोरम एवं मौजूदा लोकसभा चुनावों में उनके संक्रिय न होने को लेकर कई कयास लगाये जा रहे थे। ऐसे में अचानक उनके द्वारा पार्टी छोड़ने का फैसला लिया गया जो कांग्रेस के लिए चौकाने वाला है लोकसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस विधायक अरूणोदय चौबे एवं पार्टी की महिला नेत्री पारूल साहू ने पार्टी को अलविदा कह दिया था।

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महिला सम्मान के चलते छोड़ी कांग्रेस
कांग्रेस छोड़ने के फैसले के संबंध में विधायक निर्मला सप्रे का कहना है कि कुछ दिन पहले मध्‍य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने महिलाओं के सम्मान में कुछ गलत बात कही थी। मैं भी आरक्षित वर्ग से महिला विधायक हूं और उसे बात से मुझे बहुत ठेस लगी इसलिए मैंने भाजपा को चुना यहां महिलाओं का सम्मान है।

आपरेशन कमल या कांग्रेस की आंतरिक गुटबाजी
सागर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस की इकलौती विधायक द्वारा गुपचुप तरीके से चुनाव के 2 दिन पहले लिए गये चौकाने वाले फैसले को लेकर कई प्रकार के सवाल खड़े हो रहे है। वैसे उनका कहना है कि उन्होने कांग्रेस अध्यक्ष के विवादित बयान के चलते कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थाना है परंतु उक्त मामले में उनकी सार्वजनिक प्रतिक्रिया देखने को नही मिली न ही उनके द्वारा उक्त मामला पार्टी फोरम में उठाया गया था। ऐसे में उनके इस फैसले को लेकर प्रकार की चर्चाये की जा रही है लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश में चुनावी परिदृश्य को देखे तो विधानसभा चुनाव की हार के बाद कांग्रेस में सब कुछ ठीक नही है कांग्रेस के बड़े क्षत्रप और संगठन के नेता मौजूदा चुनाव से दूरी बनाये हुए है।

प्रदेश में कांग्रेस के एक गुट के नेता एक के बाद एक तू चल मैं आया की तर्ज पर पार्टी छोड़कर जा रहे है, भाजपा में पूर्व में ऐन्ट्री कर चुके कांग्रेस नेता अपनी मजबूती के लिए कांग्रेस के अन्य नेताओं को पार्टी ज्वाइन कराकर भाजपा में अपना कद बढ़ाने में जुटे है। सागर जिले की ही राजनीति की बात करे तो राजनीति के आभा मण्डल के सभी सूर्य दरकिनार होकर दूरस्थ तारों की भांति टिमटिमा रहे है। विधानसभा चुनावों के बाद सत्ता और संगठन की नई जमावट में स्वयं को मजबूत करने के लिए पार्टी में समर्थको का जमावड़ा शायद मौजूदा रणनीति का अहम हिस्सा है।

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कांग्रेस की बढ़ सकती है चुनावी मुश्किले
सागर संसदीय क्षेत्र में चुनावी उलट फेर का ताना बाना बुन रही कांग्रेस के लिए इस झटके से बड़ा नुकसान होने की पूरी संभावना है। मौजूदा चुनावी परिदृश्य को देखा जाए तो कांग्रेस उम्मीदवार चन्द्रभूषण बुन्देला भाजपा उम्मीदवार लता बानखेड़े को कड़ी टक्कर दे रहे है। चुनावी समीकरणों की बात करे तो कांग्रेस प्रत्याशी का पूरा जोर कुरवाई, सिरोंज, शमशाबाद, बीना और खुरई पर है वही भाजपा प्रत्याशी लता बानखेड़े सागर, नरयावली सुरखी एवं खुरई पर फोकस कर रही थी इन क्षेत्रों से दोनो उम्मीदवारों को अच्छे मतों की उम्मीद है।

संसदीय क्षेत्र की 7 विधानसभाओं में भाजपा विधायकों के काबिज होने के चलते भाजपा का पाला मजबूत माना जा रहा था ऐसे कांग्रेस की एक मात्र विधायक का पार्टी छोड़कर जाना कांग्रेस के लिए सदमे से कम नही है। युवाओं से मिल रहे सर्पोट और संसाधनों के मामले में कांग्रेस प्रत्याशी की मजबूत स्थिति ने चुनावी परिदृश्य को रोचक बना दिया है।

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